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कोलकाता में खौफ: छह दुर्गा पूजा समितियों ने ठुकराया बंगाल सरकार का मानदेय, कहा- महिलाएं सुरक्षा के लिए सड़कों पर हैं, हम नहीं स्वीकार कर सकते सहायता…

कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय की बढ़ती मांग के बीच पश्चिम बंगाल में लगभग 40,000 दुर्गा पूजा समितियों में से कम से कम छह ने ममता बनर्जी सरकार द्वारा प्रस्तावित 85,000 रुपये मानदेय को ठुकरा दिया है. उनका कहना है कि जब महिलाएं सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आई हैं, तो वे सहायता स्वीकार नहीं कर सकते.

हुगली में भद्रकाली बौथान संघ की अध्यक्ष रीना दास ने बताया, “हमने अपने सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए इस वर्ष इस अनुदान का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जो अपने कार्यस्थल पर स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर पर हुए क्रूर हमले से बेहद परेशान हैं. हमें यह अनुदान पिछले कई वर्षों से मिल रहा था.”

उत्तरपारा शक्ति संघ के प्रसेनजीत भट्टाचार्य ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए कहा, “यह एक प्रतीकात्मक विरोध है. हम तब तक पैसे स्वीकार नहीं करेंगे, जब तक इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों को पकड़कर न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता.” मुर्शिदाबाद में लालगोला कृष्णपुर संन्यासीतला और नादिया में बेथुआडाहारी टाउन क्लब सहित अन्य समितियों ने भी स्थानीय अधिकारियों को अनुदान अस्वीकार करने के अपने निर्णय के बारे में सूचित किया है.

जादवपुर में हिलैंड पार्क दुर्गोत्सव समिति ने भी पीड़ित परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अनुदान अस्वीकार कर दिया है. समिति के एक अधिकारी ने टिप्पणी की, “हमने विरोध प्रदर्शनों और न्याय की मांग की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सर्वसम्मति से अनुदान छोड़ने का फैसला किया है.” सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों का प्रतिनिधित्व करने वाले फोरम फॉर दुर्गोत्सव ने त्योहार को दुखद घटना से अलग रखने का आग्रह किया.

वरिष्ठ पदाधिकारी पार्थ घोष ने कहा, “हम इस त्रासदी से दुखी और स्तब्ध हैं और इसमें शामिल सभी लोगों के लिए कड़ी सजा की मांग करते हैं. हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द न्याय मिले, लेकिन पता नहीं इसे बंगाल की दुर्गा पूजा से क्यों जोड़ा जा रहा है, जिसे यूनेस्को का सम्मान प्राप्त है.”

संतोष मित्रा स्क्वायर पूजा समिति के मुख्य आयोजक और भाजपा के वरिष्ठ नेता सजल घोष, ने पहले सभी पूजा समितियों से मानदेय को अस्वीकार करने का आह्वान किया था, ताकि मामले को राज्य द्वारा संभालने के बारे में अस्वीकृति का स्पष्ट संदेश दिया जा सके. घोष ने कहा, “हालांकि हमने कई सालों से अनुदान स्वीकार नहीं किया है, लेकिन मैं हर समिति से इसे अस्वीकार करने का आग्रह करता हूं ताकि हमारा रुख स्पष्ट रूप से व्यक्त हो सके.”

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