केरल विधानसभा में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद विपक्ष कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ के सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया। दरअसल, यह हंगामा सदन में उठाए जाने वाले सवालों को लेकर हुआ। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उनके सवालों को दरकिनार कर दिया गया। कार्यवाही के दौरान जिन सवालों को उठाया जाना था, स्पीकर ने उन्हें उठाने की अनुमति नहीं दी। बता दें कि 15वीं विधानसभा का 12वां सत्र चार अक्तूबर को शुरू हुआ था। पहले दिन वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के बाद सदन स्थगित कर दिया गया था।
सत्र का दूसरा आज हंगामों के साथ शुरू हुआ। सदन में उठाए जाने वाले सवालों को दरकिनार करने पर विपक्ष ने स्पीकर एएन शमसीर के के प्रति नाराजगी व्यक्त की। स्पीकर ने विधानसभा सचिवालय द्वारा किए गए बदलावों को सही ठहराया। उन्होंने दावा किया कि कार्रवाई में कुछ भी असामान्य नहीं था। उन्होंने कहा कि विपक्ष के प्रति कोई भेदभाव नहीं दिखाया गया है। स्पीकर के बयान से असंतुष्ट यूडीएफ के सदस्य तख्तियां और बैनर लेकर सदन के वेल में आ गए और सरकार एवं स्पीकर के खिलाफ नारेबाजियां करने लगे।
प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री पिनरई विजयन जब जवाब दे रहे थे तब यूडीएफ का विरोध तेज होने के बाद स्पीकर ने फिर से हस्तक्षेप किया। बाद में प्रदर्शन कर रहे सदस्य सीट पर लौटने के लिए तैयार थे तो स्पीकर विपक्ष के नेता वी सतीसन को माइक्रोफोन देने के लिए सहमत हुए। कांग्रेस के मैथ्यू कुझालनदान के अलावा सभी विपक्षी नेता सीट पर लौट आए। पोडियम में कुझालनदान लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद स्पीकर शमसीर ने पूछा, “यहां विपक्ष का नेता कौन है?” इस पर कांग्रेस नेता सतीसन की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा, “आपके (स्पीकर) प्रश्न में अनुचितता है। यह आपकी अपरिपक्वता को दर्शाता है।” उन्होंने विपक्ष द्वारा सदन का बहिष्कार करने की भी घोषणा की।
हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और संसदीय कार्य मंत्री एमबी राजेष ने विपक्ष के नेता द्वारा स्पीकर पर की गई टिप्पणी की आलोचना की। विजयन ने इस टिप्पणी को अभूतपूर्व बताया। स्पीकर ने कहा कि विपक्ष के नेता द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों को विधानसभा रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाएगा।