संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत की जमकर तारीफ की। कहा कि देश ने गरीबी कम करने, विद्युतीकरण का विस्तार करने, स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
भारत के विकास पर कानेम ने कहा, ‘जब मैं पीछे मुड़कर गरीबी की स्थिति को देखती हूं तो पता चलता है कि इसमें काफी कमी आई है। इतना ही नहीं, विद्युतीकरण में विस्तार और सभी के लिए स्वच्छ पानी तथा स्वच्छता तक पहुंच होना इस बात का सबूत है कि भारत ने काफी सुधार किया है। संयुक्त राष्ट्र के लिए इन उपलब्धियों में एक प्रमुख भागीदार होना गर्व की बात है।’
30 से अधिक सालों से भारत का दौरा कर रही कानेम ने उन सकारात्मक बदलावों पर प्रकाश डाला जो उन्होंने देखे। उन्होंने कहा, ‘भारत में प्रगति की गति और तेजी रोमांचक है। देश को सकारात्मक परिवर्तन के प्रमुख उदाहरण के रूप में देखना प्रेरणादायक है। जब भारत आगे बढ़ाता है, तो समुदायों में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कुछ बदल जाता है।’
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष भारत के साथ साझेदारी के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। ऐसे मौके पर कानेम ने भारत सरकार, समुदायों और अन्य हितधारकों की कड़ी मेहनत को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘भारत की महत्वाकांक्षा यह सुनिश्चित करने की है कि हर किसी का विकास हो। वास्तव में यह शानदार है। हमें गर्व है कि हमने मातृ मृत्यु दर को कम करने में भूमिका निभाई है। इससे भारत अपने सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य से आगे निकल गया है। किसी भी महिला को जीवन देते समय मरना नहीं चाहिए, और भारत रोके जा सकने वाली मातृ मृत्यु को समाप्त करके इसे वास्तविकता बना रहा है।’
इसके अलावा, यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि भारत में बाल विवाह में कमी आई है। पिछले 50 सालों में यह आधे से कम हो गया है। उन्होंने कहा, ‘संस्कृति में यह बदलाव, जहां बालिकाओं को शिक्षित किया जा रहा है, सशक्त महिलाओं, खुशहाल परिवारों और आर्थिक समृद्धि के साथ उज्जवल भविष्य का संकेत देता है।’
भारत के वैश्विक नेतृत्व के बारे में कानेम ने कहा, ‘भारत दक्षिण-दक्षिण साझेदारी के मामले में आगे बढ़ रहा है। सतत विकास हासिल करने के लिए क्षेत्र और उससे परे मदद का हाथ बढ़ा रहा है। भारत न केवल एक आर्थिक महाशक्ति है, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों पर भी ध्यान केंद्रित करता है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, जो यूएनएफपीए के जनादेश का मूल है।’