एर्नाकुलम में चार से 11 नवंबर तक होने वाले स्कूल ओलंपिक में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी को निमंत्रण नहीं दिया जाएगा। केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी स्कूल ओलंपिक में आमंत्रित नहीं किया जाएगा क्योंकि वह बच्चों के सामने आपत्तिजनक टिप्पणी कर सकते हैं। वहीं सीपीआई एम ने सांसद वी शिवदासन को वेनेजुएला में होने वाले संसदीय फोरम में भाग लेने की अनुमति न देने पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। सीपीआई ने कहा कि सरकार उन लोगों की आवाज दबा रही है, जो उनके विचारों से सहमत नहीं होते।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने राज्य सरकार से त्रिशूर पूरम से संबंधित विवादों की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। हालांकि बाद में केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और पर्यटन मंत्री ने कहा था कि उनका कोई अपमानजनक टिप्पणी करने का इरादा नहीं था और उन्होंने केवल कुछ फिल्मी संवाद दोहराए। इस पर केरल के राज्य मंत्री ने कहा कि अगर वह स्कूल ओलंपिक में आते हैं और बच्चों के सामने कुछ आपत्तिजनक कहते हैं तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। इसलिए सुरेश गोपी को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
केरल के शिक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री को कार्यक्रम में तभी आमंत्रित किया जाएगा जब वह राज्य के लोगों का अपमान करने वाली अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी वापस ले लेंगे। कार्यक्रम के निमंत्रण पहले ही छप चुके हैं। केरल ने अपने गठन के बाद कई घटनाएं देखी हैं, लेकिन उसने सुरेश गोपी द्वारा की गई टिप्पणी जैसी कोई टिप्पणी नहीं सुनी है। ये टिप्पणियां राज्य के इतिहास में अंकित हो जाएंगी। सामान्य शिक्षा मंत्री ने स्कूल ओलंपिक के लिए किसी भी सहायता की घोषणा नहीं करने पर भी गोपी पर निशाना साधा।
सीपीआई एम ने सांसद को वेनेजुएला में होने वाले संसदीय फोरम में पार्टी के सांसद को भाग लेने की अनुमति न देने पर केंद्र सरकार को घेरा। पार्टी ने कहा कि सरकार राजनीतिक भेदभाव कर रही है। यह सभी विपक्षी दलों और उनके सांसदों के लिए चिंता का विषय है। पार्टी की तरफ ने कहा कि पार्टी का पोलित ब्यूरो केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करता है। जिसमें वेनेजुएला के काराकस में आयोजित फासीवाद के खिलाफ संसदीय मंच में भाग लेने के लिए संसद सदस्य (राज्यसभा) डॉ. वी शिवदासन को राजनीतिक मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया है।पार्टी ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि एफसीआरए (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) मंजूरी मिलने के बावजूद, विदेश मंत्रालय ने शिवदासन को राजनीतिक मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया। यहां अलग-अलग आवाजों को अपने विचार व्यक्त करने से रोका जाता है।