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शाम का भूला

अप्रैल 2023 में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में ये मान कर चल रही थी कि किसानों के भरोसे सत्ता में वापस आ जायेंगे। आदिवासी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आदिवासी नेता बहुत थे लेकिन भाजपा में सेंध लगाने के सफल प्रयास में एक कद्दावर नेता मिल गया -नंद कुमार साय। नंद कुमार साय भाजपा में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे थे और कमोबेश जशपुर इलाके में उनकी पकड़ थी। ये समीकरण कांग्रेस के लिए पर्याप्त था। कांग्रेस ने उन्हें हाथो हाथ लिया और केबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए का राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष भी बना दिया। 1मई 2023से साय जी के लिए सब कुछ गुड गुड था।

मान मिला, सम्मान मिला लेकिन इससे अधिक जो चाहते थे वो नहीं मिला। विधान सभा चुनाव में साय जी टिकट चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने नही दिया। ये बात निश्चित रूप से साय जी को आंतरिक रूप से आहत किए हुए थी। कहते है कभी कभी अवसर न मिलना भी अच्छा होता है। 2023 के विधान सभा चुनाव में जशपुर सरगुजा से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। साय जी भी लड़ते तो हश्र यही होता। बाल बाल बच गए साय जी नहीं तो दल बदलू का आरोप तो लगा ही था दलबदल के बाद हारते तो लोग डबल मजा लेते।

राजनीति में सत्ता के सुख के बजाय विपक्ष में रहने और संघर्ष करने का परिणाम बेहतर होता है और इसका पारिश्रमिक मिले न मिले मन को सन्तोष जरूर मिलता है। साय जी इससे वंचित रह गए। वे कांग्रेसी विचारधारा के व्यक्ति थे ही नहीं।शरीर भले ही कांग्रेस में चली गई, आत्मा भटक रही थी। आखिरकार आत्मा जवाब दे गई और महज आठ महीने में उनका कांग्रेस से मोह भंग हो गया। राजनीति के पंडित आंकलन कर रहे है कि भाजपा में आदि से वास करने के बाद राजनीति में भाजपा के अरण्य से निकल कर कांग्रेस के मॉल में असहज होकर बाहर निकले साय जी अब क्या करेंगे।

घर वापसी? यद्यपि साय जी ने संकेत दिया है कि वे भाजपा में भी नहीं जायेंगे, कांग्रेस में वे रहे नहीं तो क्या एक और आदिवासी राजनैतिक दल का भूर्ण सरगुजा जशपुर में रोपित होगा! अरविंद नेताम ,एक असफल प्रयास कर चुके है। भाजपा आदिवासी नेता विष्णु देव साय को मुख्य मंत्री बना चुकी है।कांग्रेस के पास दीपक बेंज के रूप में आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष है। मतलब दरवाजे सभी जगह बंद है। भाजपा में जाने से सुबह का भूला शाम को घर वापस मान भी लिया जाएगा तो घर से घाट जाकर घाट वापस आने वाली बात होगी। घाट घाट का पानी पी चुके साय जी आदि से जिस पार्टी में वास कर रहे थे उसे छोड़ कर अल्पकालीन वास के लिए कांग्रेस में गए,इसे भी छोड़ दिए है,इंतजार करिए अटल बिहारी वाजपेई की भाजपा नहीं रही कहने वाले मोदी की भाजपा में जाते है या नहीं।

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