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राशन दलाल और दलाली

छत्तीसगढ़ में तेरह हजार राशन दुकान है।इनका कोई पंजीकृत संघ नहीं है। राजधानी के चलते रायपुर में नेता होना, बनना स्वाभाविक है। वैसे कोई संघ जन्म लेता है तो उसका उद्देश्य अपने साथियों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना और निराकरण करना होता है। सरकार के बदलने के साथ साथ ही संघ के पदाधिकारियों की अदला बदली कोई नई बात नहीं है। छत्तीसगढ़ में राशन दुकानदारों का “कल्याण” संघ है । विगत छह सालों से रायपुर में कोई अध्यक्ष नहीं है लेकिन एक व्यक्ति स्वयं को अध्यक्ष बोलता है। आश्चर्य की बात ये है कि इसे खाद्य संभालनालय के एक भ्रष्ट अपर संचालक का संरक्षण प्राप्त है। जो बिना किसी अधिकृत दस्तावेज के इस स्वयंभू अध्यक्ष को खाद्य अधिकारियों की परामर्शदात्री समिति की बैठक में लिखित रूप से आमंत्रित भी करवाता रहा।

सामान्य प्रशासन विभाग ने हर विभाग के संघों के समस्याओं के निराकरण के लिए परामर्शदात्री समिति गठित की है जिसमें प्रदेश के मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघों के अध्यक्ष अथवा नामित सदस्यों को ही लिखित सूचना देकर आमंत्रित किया जाता है। बीते अक्टूबर में खाद्य विभाग के अधिकारी संघ ने घोटाले में अपनी भूमिका को लेकर प्रांत व्यापी सामूहिक अवकाश और धरने की घोषणा की थी। इसे विफल करने के लिए अपर संचालक ने रायपुर के स्वयंभू अध्यक्ष के जरिए हड़ताल की घोषणा करवा कर सहमति का ठेका ले लिया और हड़ताल तोड़वाने को कोशिश की। इस बीच अधिकारियों और राशन दुकानदारों में फूट पड़ गई। हड़ताल खत्म होने की बात दूर प्रदेश के राशन दुकानदार कई फाड़ में बंट गए।

झूठा दिलासा देकर हड़ताल भले खत्म हो गई लेकिन न खाद्य अधिकारियों और न ही राशन दुकानदारो की समस्या हल हुई। राजधानी के खाद्य विभाग में राशन दुकानों को निलम्बित करवाने, बहाल करवाने का खेल पिछले सात आठ महीने से चल रहा है।राशन माफिया के लिए कुख्यात व्यक्ति जिसके ऊपर गरीब राशन कार्ड धारियों के करोड़ो के चांवल घोटाले का आरोप है उसे बचाने के लिए सारे कायदे कानून तोड़ दिया गया है। इसके विरुद्ध संचालक के यहां अपील महीनों से धूल खा रही है।
बताया जाता है कि राजधानी में राशन दुकानदारों को राशन कार्ड धारकों को चांवल के बदले नगद राशि देने का खुला खेल चल रहा है।

संचालनालय के एक अधिकारी को “चचा” बताकर राशन दुकानों से हजार पंद्रह सौ रुपए की वसूली की जा रही है। इसके लिए बकायदा एक व्हाट्सप्प ग्रुप बना हुआ है।इस ग्रुप में पैसे इकट्ठा करने वाले का नाम और दुकानों की आई डी भी है। हाल ही खाद्य विभाग ने निगम क्षेत्र में नए राशन दुकान खोलने का विज्ञापन निकाला है। यह स्वयंभू पदाधिकारी, खाद्य विभाग के ताला खोलने से लेकर बंद करने तक चपरासी के रूप में उपस्थित रहता है। विभाग की गोपनीय फाइलों की और विभाग के महिला कर्मचारियों की फोटो खींचने का इसका रोज का काम है। राशन दुकानदारों का एक तबका विद्रोह की स्थिति में आ गया है।

इसका कारण ये है कि ये स्वयंभू पदाधिकारी खाद्य संचालनालय के अधिकारी के नाम से वसूली कर ही रहा था अब खाद्य अधिकारी के नाम पर अवैध वसूली कर रहा है। बताया जाता है कि खाद्य विभाग के बाहर खुले आम राशन दुकान दिलाने का ठेका इस पदाधिकारी द्वारा लिया जाकर कलेक्टर,अपर कलेक्टर और खाद्य अधिकारी की छवि धूमिल की जा रही है।

इन सब घटना क्रम को देखते हुए राजधानी के राशन दुकानों के संचालक चुनाव मोड़ पर है। ये भी बताया गया कि कांग्रेस शासन काल में रायपुर पश्चिम के विधायक का चुनाव प्रचार करने वाला पदाधिकारी वर्तमान में रायपुर के भाजपा विधायकों के नाम पर राशन दुकान दिलाने के लिए दुकान खोले बैठा है। विगत दो दिनों से रायपुर के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में दलाली की खबरें सुर्खिया बनी हुई है।

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