नई दिल्ली: Arvind Kejriwal News: कुछ ‘हाई-प्रोफाइल’ बैठकों के बारे में करीब चार बयान, अरविंद केजरीवाल, उनके करीबी सहयोगियों और कथित आबकारी नीति घोटाले के संबंध में रिश्वत लेने के आरोपियों के बीच व्हाट्सऐप चैट और फेसटाइम कॉल का विवरण- ये कुछ सबूत हैं, जिनके आधार पर पता चला है कि ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब कांड में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन समन जारी किए हैं.
अरविंद केजरीवाल पहले ही ईडी के दो समन को दरकिनार कर चुके हैं और जांच एजेंसी को पत्र लिखकर तीसरी बार भी उपस्थित होने में असमर्थता जाहिर कर चुके हैं. अरविंद केजरीवाल ने ईडी को लिखे जवाबी खत में एजेंसी से दिल्ली शराब घोटाला केस में पेश होने के लिए उन्हें दिए गए समन को वापस लेने के लिए कहा है और आरोप लगाया है कि ईडी के ये समन अवैध और राजनीति से प्रेरित हैं. अरविंद केजरीवाल ने ईडी से कहा था कि मैंने अपना पूरा जीवन ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ बिताया है. मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है.
ईडी के सूत्रों के अनुसार, दिल्ली शराब कांड के आरोपी और मुख्यमंत्री या सीएम के करीबी सहयोगी या कलीग के बीच कुछ व्हाट्सएप चैट्स और फेसटाइम कॉल के विवरण सहित ये कुछ ऐसे सबूत हैं, जो उत्पाद शुल्क नीति को लागू करने में दिल्ली सरकार के कुछ वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की मिलीभगत का संकेत देते हैं. एक सूत्र ने आगे कहा कि पार्टी प्रमुख होने के नाते अरविंद केजरीवाल को ऐसे सभी लेन-देन और समझ के बारे में पता था. सूत्र ने कहा कि उनकी उपस्थिति में कुछ कागजात पर हस्ताक्षर किए गए थे. हमें जांच से संबंधित कुछ अहम सबूतों के बारे में उनका बयान दर्ज करने की आवश्यकता है. सूत्र ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को तीन बार समन जारी किया जा चुका है और उन्हें 3 जनवरी को पेश होने के लिए कहा गया है. अरविंद केजरीवाल एक बार सीबीआई के समक्ष पेश हो चुके हैं, जबकि ईडी के सामने अब तक वह पेश नहीं हुए हैं.
किस आधार पर है शराब घोटाला केस
दरअसल, दिल्ली का उत्पाद शुल्क नीति घोटाला जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना को दायर की गई एक रिपोर्ट पर आधारित है. पांच पेज की रिपोर्ट में उन्होंने दिल्ली शराब नीति के निर्माण में कथित प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया था. नरेश कुमार ने आरोप लगाया कि तत्कालीन उत्पाद शुल्क मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा ‘मनमाने और एकतरफा फैसले’ लिए गए थे. उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति से सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ, जबकि कुछ आप नेताओं और मंत्रियों को ‘रिश्वत’ मिली. इस मामले को सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया और फरवरी में मनीष सिसौदिया को गिरफ्तार कर लिया गया. इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू को देखने के लिए जांच सीबीआई से ईडी ने अपने हाथ में ले ली.
मनीष सिसोदिया और संजय सिंह हैं जेल में
बता दें कि इस दिल्ली शराब घोटाला केस में आम आदमी पार्टी के दो सीनियर नेता- मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले से ही सलाखों के पीछे हैं. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह, तब से ही हिरासत में हैं. ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.