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India-Maldives Dispute: इन चार एहसानों को कैसे भूल सकता है मालदीव, जब भारत ने बढ़ाया था मदद के लिए हाथ

India-Maldives Dispute: भारत और मालदीव के बीच संबंध हमेशा से बेहतर रहे हैं. भारत ने कई मौकों पर मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. हालांकि, आज परिस्थितियां बदल चुकी है. दोनों देशों के संबंधों में कडवाहट पैदा हो गयी है. इसके लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों पर मालदीव के राजनेताओं द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के बाद तो विवाद और बढ़ गया है. बात इस कदर बिगड़ चुकी है कि भारतीय यूजर्स बॉयकॉट मालदीव कर के सोशल मीडिया पर ट्रेंड चला रहे हैं. इस मुहीम में देश की बड़ी हस्तियों ने भी मालदीव को घेरना शुरू कर दिया है.

मालदीव को देर सबेर अपनी गलती का एहसास हो चुका है. यही वजह है कि मालदीव कई बार भारत से माफी मांग चुका है. मालदीव की सरकार ने पीएम मोदी की फोटो पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मंत्री और नेताओं को पद से निलंबित कर दिया है. हालांकि दोनों देशों के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में हम आपको उन चार घटनाओं के बारे में बताते हैं, जब भारत ने मालदीव की मदद की थी.

India-Maldives Tension: ऑपरेशन कैक्टस
साल 1988 में भारत ने मालदीव की सरकार पर ऐसा एहसान किया था, जिसे पड़ोसी देश को कभी नहीं भूलना चाहिए. दरअसल, हुआ यूं कि 3 नवंबर को मालदीव की राजधानी माले में घुसपैठियों ने हमला कर दिया.तब मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम को सत्ता से बेदखल करने की योजना थी. हालात इस कदर ख़राब हुए कि ग़यूम को एक सेफ हाउस में छिपना पड़ा. तब ग़यूम ने कई देशों से मदद मांगी लेकिन उन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिली. ऐसे में भारत ने मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया.

उस वक्त भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मालदीव की मदद करने का फैसला किया. ऐसे में भारतीय सेना की एक ख़ास टुकड़ी को मालदीव भेजा गया. जिसके बाद भारत के 6 पैरा के 150 कमांडो ने मौके पर मोर्चा संभाला और स्थिति को काबू में किया. ऐसे में मालदीव की सरकार गिरने से बच गई.

ऑपरेशन सी वेव्स
साल 2004 के आखिर में समुंद्र के अंदर भूकंप आया था, जिसने मालदीव के तटों को तबाह कर दिया था. इस वक्त भी भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया और उसने ‘ऑपरेशन सी वेव्स’ चलाया. तभी भारत से हर प्रकार की राहत सामग्री मालदीव भेजी गई. हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को रेस्क्यू किया गया. इतना ही नहीं, पैसों की तंगी से जूझ रहे मालदीव को भारत ने 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी. इसके बाद भी भारत ने करोड़ों रूपये की मदद की.

ऑपरेशन नीर
4 दिसंबर 2014 को मालदीव की राजधानी माले का आरओ प्लांट खराब होने यहां पीने के पानी का संकट पैदा हो गया. पूरे शहर में बूंद-बूंद पानी के लिए त्राहि मच गई. प्लांट के फिर से चालू होने तक पूरे शहर को हर रोज 100 टन पानी की जरूरत थी. तब मालदीव ने भारत सरकार मदद मांगी. जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन नीर’ चलाया और पैक किया हुआ पानी दिल्ली से अराक्कोणम और वहां से माले के लिए रवाना किया. सेना ने वायुयानों के जरिए 5 से 7 सितंबर के बीच 374 टन पीने का पानी वहां पहुंचाया.

India-Maldives Dispute: कोरोना में भारत ने दिया साथ
साल 2020 में कोरोना के दौरान जब लोगों के अपनों ने साथ छोड़ दिया था. तब भी भारत ने मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था और एक बड़ी मेडिकल टीम भेजी थी. इतना ही नहीं, भारत ने तब मालदीव में वैक्सीन पहुंचाने का काम किया था.

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