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जेल में महिला अधिकारियो की मार के पीट, एक थाली में खाने वाले क्या एक दूसरे के थाली में छेद कर सकते हैं?, इसके दो उत्तर है, पहला अगर सरकार अपनी है तो “नहीं”

कहते है कि बिना आग लगे धुआं नही निकलता है इस बार आग महिला जेल में जली है और धुआं बाहर उठा है। जेल के अंदर आग लगाने वालो ने ये भी कहा है कि उन्होंने आग लगाई ही नहीं है तो धुआं उठना नहीं चाहिए। आग लगते जेल के भीतर लोगो ने देखा है चूंकि सेंसर बोर्ड नही है इस कारण आग जलाने वालों के नाम भी सामने आ गए है। कभी रायपुर और कोरबा में बैठ कर कोयला ढुलाई में 25रूपये कमीशन सकेलनें वाली दो महिलाएं, जिनमे एक भारतीय प्रशासनिक सेवा और दूसरी राज्य प्रशासनिक सेवा से थी, ईडी ने दोनो को उठा लिया। एक, साल भर से विशिष्ट सेवा पा रही थी दूसरी, आधे साल से।मिल बैठ कर बंद चार दीवारी में सुख भोग रहे थे लेकिन अचानक ही बाहर सरकार बदल गई।संभावनाओं के सारे दरवाजे बंद हो गए तो मतभेद सामने आने लगे। वैसे भी दोनो जुबान से भले नही है। सत्ता के मद में गाली गलौच सामान्य बात हो चली थी।

बाहर के माहौल बदलने से भीतर का माजरा बदलने लगा।भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला ने तू तडाक करते हुए सारे घोटाले के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला पर आरोप प्रत्यारोप शुरू कर दिए। माहौल बिगड़ता गया आखिरकार मार पीट तक बात पहुंची है ये सत्य है। दरअसल सुख सुविधा हटने से डिप्रेशन बढ़ रहा है।सुपर सी एम कहलाने वाली महिला सुपर बंदी हो गई है। खबर तो ये भी है कि कुछ खबरिये मीडिया वाले महिला जेल के प्रहरियों सहित अपनी बंदी जमानती मामले में जेल दाखिल करा कर खबरे बाहर निकाल रहे है। खबर ये भी है कि बोटी खाने वालियों फाइल का जेल भोजन रास नहीं आ रहा था। दोनो इस बात से भी परेशान है।दोनो को अलग अलग सेल में डाल कर अलग अलग थाली,गिलास, दे दिया गया है। लाइन में लगकर दोनो खाना ले रही है मारपीट के बाद।

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