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कहां से आए अमरजीत भगत के पास 250 करोड़ रूपया

आयकर विभाग के सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ के पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत सहित उनके साथियों के यहां से 250 करोड़ रूपये की संपत्ति की जानकारी मिली है। विधायक कालोनी रायपुर में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अवैध रूप से बने सरगुजा कुटीर के भीतर चली चार साल की गतिविधियों के चलते अमरजीत भगत सहित उनके करीबियों के चालीस से अधिक ठिकानों पर आयकर विभाग ने पांच दिन जांच की। साधारणतया आयकर विभाग एक से दो दिन में दस्तावेज खंगाल लेती है लेकिन पांच दिन की जांच ये इशारा कर रहे है कि जांच गंभीर है और आगे बड़े खतरे इंतजार कर रहे है।

चुनाव आयोग को दी गई जानकारी और आज की स्थिति में मिले संपत्ति के बीच जमीन आसमान का अंतर बता रहा है कि खाद्य मंत्री रहते हुए अमरजीत भगत घोटालों में हिस्सेदारी का खेल खेलने लगे थे। मुख्यमंत्री के यहां नान घोटाले के एक अफसर के योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रदेश की राशन प्रणाली को हथियार बनाया गया। आदिवासी अंचल के राशन दुकानों को बोगस कोटा जारी करवाया गया और हजारों करोड़ रुपए का अनाज पार करवा दिया। आज की स्थिति में प्रदेश के पांच हजार राशन दुकानदार जिनमे अधिकांश महिला समूह है जांच होने पर जेल जाने की स्थिति में है।

आयकर विभाग को मिली जानकारी के अनुसार हर महीने 15हजार क्विंटल चांवल का बोगस कोटा जारी होता था और इसे खुले बाजार में खपाया गया। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वीकार किया था कि 65हजार मेट्रिक टन चांवल का हिसाब नही मिल रहा है। 15 हजार टन चांवल वसूली की गई है। बाजार से चांवल खरीद कर रख कर कागजी घालमेल किया गया क्योंकि सरकारी अधिकारी मुगालते में थे कि शासन कांग्रेस का ही आना है। जांच कौन करेगा। सत्ता पलट गई केवल एक महीने में अमरजीत भगत का हिसाब किताब सामने है। भाजपा के पारदर्शी राशन प्रणाली को तार तार कर 250 करोड़ रूपये की हिस्सेदारी के सबूत बता रहे है कि खाद्य विभाग के आला अधिकारी घोटाले को कंप्यूटरराईज्ड तरीके से अंजाम दिए है।

साढ़े पांच हजार राशन दुकानों में गड़बड़ी को छुपाने के लिए जानकारी को उड़ाना ये प्रमाणित करता है कि घोटाले में कितने बड़े अधिकारी शामिल है। एक राशन दुकानदार 100 क्विंटल चांवल बेचते पकड़ा जाए तो ये अधिकारी जेल भेजकर वाहवाही लूटते है। 65 हजार मेट्रिक टन चांवल का गड़बड़ी करने करवाने वाला अधिकारी कब जेल जायेगा? इधर अमरजीत भगत आदिवासी होने का रोना रो रहे है, भगत जी 26 पेज में किन किन अधिकारियो, टेंडर लेने वाले का नाम किससे लिखवाए हो ये तो बता देते। आप तो गरीब आदिवासियों के खाली चांवल ही नहीं चना और गुड़ खाने के भी आरोपी हो।मगरमच्छ के आंसू मत रोइए।आप किस किस को डुबायेंगे ये बताइए।

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