विधानसभा में खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल के ये स्वीकार कर लेने से कि 216 करोड़ का अनाज घोटाला पिछले सालो में हुआ है जांच के लिए विधान सभा के विधायको की जांच समिति से जांच की घोषणा हो चुकी है। इस माह के अंत तक पांच या साथ विधायको की जांच समिति और कितने महीने में रिपोर्ट देना है इसकी घोषणा हो जाना संभावित है। प्रश्न ये उठ रहा है कि 2023 के बजट सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के प्रश्न के जवाब में 650 करोड़ का बचत घोटाला एक साल में 216 करोड़ का कैसे हो गया? 434 करोड़ रूपये का अनाज दुकानों में कैसे वापस पहुंच गया?
विभाग के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि 650 करोड़ के अनाज घोटाले को छुपाने के लिए संचालनालय स्तर से बीते एक साल में ऐसे प्रयास किए गए जिसके चलते कागजी भरपाई हो गई है जबकि वास्तविकता ये है कि दुकान में न तो अनाज आया है और न ही अनाज आ सकता है। भाजपा सरकार के कार्यकाल मे छतीसगढ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2017 बनाया गया था जिसमे राशन दुकानों में अनाज की आपूर्ति केवल नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा ही किए जाते का प्रावधान है। कार्ड धारकों को केवल ऑन लाइन वितरण करने का नियम है। यदि तकनीकी कारणों से ऑफ लाइन राशन बाटना भी पड़ता है तो तकनीकी त्रुटि ठीक होने पर ऑन लाइन एंट्री के बिना आगे महीने का कोटा नहीं दिया जाता था।
राशन दुकानों में बचत अनाज के रहते घोषणा पत्र में फूड इंस्पेक्टर्स द्वारा जानकारी दिए जाने के बावजूद संचालनालय द्वारा लगातार कोटा दिया जाना ही घोटाले की वजह बनी। घोटाले को छुपाने के लिए एक साल से संचालनालय के अधिकारी तोड़ बता रहे है। बजट सत्र 2023 में जैसे ही 650 रूपये का घोटाला उजागर हुआ। भूतपूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल से प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दिलवाई गई कि राज्य सरकार ने जांच कराकर 65 हजार टन चांवल की कमी पाई जिसमे से 15हजार टन चांवल की वसूली की जा चुकी है।
खाद्य संचालनालय के अधिकारियो ने प्रदेश में तकनीकी त्रुटि का रास्ता खोजा। जिन राशन दुकानों में सैकड़ों क्विंटल चांवल बचत दिख रहा था उसमे से कुछ मात्रा को तकनीकी त्रुटि बता कर कम कर लिया। दूसरे तरीके ने राशन दुकानों के कमीशन की राशि उनकी सहमति के बगैर नागरिक आपूर्ति निगम में काट ली गई। तीसरा बिना प्रकरण बनाए घोषणा पत्र में बचत अनाज की वसूली के लिए तहसीलदार से राजस्व वसूली की नोटिस जारी करवा दिए। चौथा राशन दुकानदार को बाजार से अनाज खरीद कर रखने का मौखिक आदेश दिया गया। पांचवा राशन दुकानदार से शपथ पत्र लेकर प्रतिपूर्ति मान ली गई और पूरा कोटा जारी होने लगा। इस तरीके से 434 करोड़ की वसूली का खेल पूरा हो गया है। जिसकी जांच विधान सभा की जांच समिति को किया जाना है। खाद्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र गुलाटी का कहना है कि संचालनालय स्तर के जिम्मेदार अधिकारियों को हटाए बगैर निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इस बारे में गठित होने वाली जांच समिति को ज्ञापन दिया जायेगा।