सरकार के गए लगभग तीन महीने पूरे हो गए है। नई सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि किस विभाग को सुधारे और किन को बाहर का रास्ता दिखाएं। पुराने सरकार में उपकृत संविदा नियुक्ति और नामी गिरामी लोगो के प्लेसमेंट एजेंसी के सहारे सरकार में घुसे लोग जासूस बन भीतरी गोपनीय बात को बाहर कर बदनाम कर रहे है। पुरानी सरकार के लगभग हर मंत्री अपने चहेतों को संविदा में रख कर केवल और केवल पैसे वसूलने का काम किया है। परिवहन विभाग में अपने सजातीय को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा से लाकर सिर्फ अवैध वसूली की गई है।
फिटनेस के नाम पर हैदराबाद से कंपनी बुला कर क्या खेल चला है इसकी वास्तविकता जानना हो तो नए बस स्टैंड चले जाइए। परिवहन विभाग में संविदा में उपकृत अधिकारी ने किसानों के ट्रेक्टर ट्राली तक में हजारों रुपए का रेट तय कर रखा था। ये अधिकारी तो उप पुलिस अधीक्षक दर्जे का था लेकिन काम एक कांस्टेबल के समान था। जिन विभागो में घोटाले की गुंजाइश ज्यादा थी वहां मैडम आई ए एस अधिकारियो को संविदा नियुक्ति का दरबार खोल रखी थी। निरंजन दास जैसा बेईमान व्यक्ति इसी कारण संविदा नियुक्ति पाया था ताकि नान और आबकारी में टकसाल खोल सके। ऐसे ही नई सरकार पता लगाएगी तो हजार से अधिक अधिकारी संविदा नियुक्ति की मलाई चाट रहे है।
यही हाल टुटेजा के प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए सरकार के विभाग, निगम मंडली में घुसे कर्मचारियों का है। सरकार प्लेसमेंट एजेंसी के द्वारा लगे कर्मचारियों का वेतन सीधे प्लेसमेंट एजेंसी को देती है। शराब,कोयला, रेत, डी एम एफ , राशन घोटाले में अरबों रुपए डकारने के बावजूद चिंदी चोरी में लगे रहे। सरकार की जिम्मेदारी है कि हर विभाग,निगम मंडल में कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी की पता साजी कर बंधक कर्मचारियों को मुक्ति दिलाए और उन्हे जिस वेतन में रखा गया है उसका भुगतान सीधे उनके खाते में करे। इसके साथ साथ पिछले कार्यकाल में काटे गए कमीशन की राशि प्लेसमेंट एजेंसी से कर कर्मचारियों को दिलाए और ऐसे बेईमान प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे। टुटेजा की कंपनी से श्री गणेश हो तो और भी अच्छा है!