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कहां है अमरजीत भगत का विशेष कर्तव्य अधिकारी अतुल शेट्टे!

कांग्रेस सरकार के शासन काल में सरगुजा से चार बार चुने गए अमरजीत भगत को खाद्य मंत्री पद दिया गया था। मंत्री बनते ही भगत ने भ्रष्ट्राचार की दुकान खोल ली। एक एजेंट को ओएसडी भी नियुक्त कर दिया। नायब तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बने अतुल शेट्टे को। अतुल शेट्टे ने रायगढ़ में नायब तहसीलदार रहते हुए शासन की तरफ से उद्योगपतियों को आदिवासियों की जमीन देने के मामले में भारी भ्रष्ट्राचार किया था। रायगढ़ की महिला कलेक्टर तो नौकरी ही खा जाने वाली थी अतुल शेट्टे की। भ्रष्ट्राचार के पैसे से रायगढ़ और रायपुर में करोड़ो रुपए का घर बनवा लिया, जमीन खरीद ली।

खाद्य मंत्री के ओएसडी बनते ही सबसे पहले नान के एमडी निरंजन दास से संपर्क साध कस्टम मिलिंग के काम में शेयर बंधवाने का काम किया।रोशन चंद्राकर से मिलकर धान के भुगतान में हिस्सेदारी कर साल भर में दस करोड़ रुपए खुद के अंटी में डाल राजू अरोरा के साथ बिल्डिंग इंडस्ट्री में लगा दिया।इस बात की खबर अमरजीत भगत को लगी ही नहीं। अमरजीत भगत के लिए पैसे जुटाने के लिए खाद्य विभाग में ट्रांसफर इंडस्ट्री खोला गया। सिर्फ तीन साल में डेढ़ सौ ट्रांसफर किए गए जिसके एवज में बारह करोड़ रुपए वसूले गए है। उन्नीस ट्रांसफर लिस्ट में सारे अधिकारियो के नाम दर्ज है। आयकर विभाग के छापेमारी में सारा कच्चा चिट्ठा खुल गया है। सरकार बदली तो अतुल शेट्टे को पनिशमेंट के तौर पर बीजापुर भेजा गया है। चार महीने से ड्यूटी से नदारद है।

बीजापुर से मिली खबरों के अनुसार दो दिन टिकने के बाद से अतुल शेट्टे हर संभव बीमार होने का बहाना कर नदारत है। आयकर विभाग की माने तो अतुल शेट्टे की फाइल राज्य सरकार को भेजने की है क्योंकि भ्रष्ट्राचार के मामले की जांच एसीबी और ईओडबल्यू को करना है।अतुल शेट्टे ने प्रदेश भर में जूनियर अधिकारियो से भारी भरकम राशि लेकर जिला का जिम्मा सौप कर राशि वसूलने का हार्ड डिस्क आयकर विभाग के हाथ लगा है जिसमे दिनांक, महीने और ली गई राशि का ब्यौरा है। प्रदेश में आबकारी विभाग के समान ही खाद्य विभाग के अधिकारियो की शामत आने वाली है

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