छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव होने के बाद मंत्रियों के ओएसडी हटाने और बनाने का महती काम हुआ। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के ओएसडी डिप्टी कलेक्टर पद के थे, अतुल शेट्टे। ट्रांसफर उद्योग के एमडी हुआ करते थे। खुद तो डूबे अमरजीत भगत को भी ले डूबे, दोनो एक दूसरे पर डूबने डुबाने की बात कहते होंगे। अतुल शेट्टे नए खाद्य मंत्री के यहां भी दरवाजा खटखटाये , बड़ा ऑफर भी रखा लेकिन पंजा छाप अधिकारी नहीं रखना था सो नहीं रखे गए।
दयाल दास बघेल सीधे साधे मंत्री है। बहुतों ने कोशिश की। बघेल जी को लगा कि अब तक किसी भी खाद्य मंत्री का ओएसडी विभाग का नही रहा है। एक बंदे ने अपने को मुख्य सचिव के द्वारा एप्रोचित बता कर एंट्री मारी। पास ही के जिले में थे।शुरुवात में भी संतन के पैर ऐसे पड़ने लगे कि बंटाधार होने की खबर बाहर आने लगी। विभाग से आने के बाद विभाग के अधिकारियो को बुलाने लगे। जिलों की बोलियां लगने लगी।आने,रुकने जाने के लिए खाद्य मंत्री और उनके पुत्र के नाम का दोहन होने लगा।
“कांग्रेस का, कांग्रेस के द्वारा कांग्रेस के लिए” थ्योरी खाद्य मंत्री के यहां भाजपा का,भाजपा के लिए, भाजपा के द्वारा थ्योरी मंत्री के जानकारी के बगैर धडल्ले से चल पड़ा। मंत्री के गृह जिले के निकट सूत्रों ने जानकारी दिया है कि ट्रांसफर के बेन खुलने से पहले ही पचासों अधिकारियो से भारी रकम मंत्री के नाम से वसूल कर लिया गया है। इस बात की भनक मंत्री को लगी तो पेशी लगवा लिया। खुले रूप से अधिकारियो ने फिगर बता दिया। एक माह पहले ही मंत्री जी के समझ में आ गया कि अपने आस्तीन में सांप पालने का मतलब सत्यानाश होना है। एकात्मक परिसर में भी धुआं उठा। खाद्य मंत्री के ओएसडी, मार्कफेड में राइस मिलर्स को दिए जाने वाले एक सौ बीस रुपए में हिस्सा मांगने पहुंचे थे।
दयाल दास बघेल, जिस विभाग के मंत्री है उसे काजल की कोठरी माना जाता है। पिछली सरकार के जमाने में अरबों रुपए का राशन घोटाला सर पर बैठा है। पिछले ओएसडी के ट्रांसफर उद्योग की जांच आयकर विभाग , ईडी को देने वाला है, ऐसे में खाद्य मंत्री किसी भी तरीके के बेईमानी करने वाले बेईमान अफसर को अपने कार्यालय में रखना पसंद नही किए और इसके परिपालन में मात्र चार माह में खोखा सकेल कर खाद्य मंत्री को बदनाम करने वाले ओएसडी को मूल विभाग में भेजने का आदेश निकलवा दिया है। खाद्य मंत्री से निकाले गए ओएसडी को अनुसचित क्षेत्र में जाने की खबर है। फिलहाल नए राजधानी में काम करना होगा। इधर राजधानी से लगे जिले में फिर से वापसी की बात खदेड़े गए ओएसडी प्रचारित कर रहे है। विभाग से मिली नई कार को सरकारी निवास में इसी कारण छिपा के रखा गया है बाकी खाद्य मंत्री जाने। खाए पिए कुछ नही, बदनामी करोड़ो की हो रही है।