5 राज्यो के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश को छोड़कर शेष चारो राज्यो में शासन करने वाली पार्टियों की सरकार को हार का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश में शिव राज सिंह चौहान को छोड़ कर राजस्थान में अशोक गहलोत, तेलंगाना में बी.चंद्र शेखर राव, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और मिजोरम में जोरांग थामा अपनी पार्टी को सत्ता में वापस लाने में असफल रहे। भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव के पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ को कांग्रेस से झटक लेना बड़ी बात रही ।तेलंगाना में कांग्रेस की जीत कर्नाटक के बाद गैर हिंदी भाषी राज्य में बढ़ता हुआ कदम रहा।
5 राज्यो में से 2राज्यो तेलंगाना में कांग्रेस के रेवथ रेड्डी और मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट के लालदुहोना मुख्य मंत्री के रूप में शपथ ले चुके है लेकिन भाजपा जिन तीन राज्यों में बहुमत हासिल कर चुकी है उन तीनो राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सस्पेंस बरकरार हैं। राजनीति के पंडितो के द्वारा रोज नए समीकरण के साथ कयास लगा कर नाम परोसे जा रहे है परंतु नाम अभी भी सामने आने बाकी है।
एक कयास ये है कि भाजपा महिला सशक्तिकरण के नाम पर 33प्रतिशत आरक्षण बिल ला चुकी है और तीनों राज्यों में महिलाओ ने पार्टी को सत्ता का रास्ता दिया है इसलिए एक राज्य में महिला मुख्य मंत्री होना चाहिए। इस तर्क को मान भी लिया जाए तो दो बड़े राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में महिला मुख्य मंत्री होना कठिन है यद्यपि वसुंधरा राजे सिंधिया पूर्व में मुख्य मंत्री रही है और राजस्थान के रिवाज को मान ले तो कोई भी मुख्य मंत्री अपनी पार्टी को लगातार दो बार नहीं जीता सका है तो पिछली हार का ठीकरा वसुंधरा राजे सिंधिया के सिर नहीं फोड़ा जा सकता।
मध्य प्रदेश में शिव राज सिंह चौहान लाड़ली बहना योजना लाकर तुरुप का पत्ता फेका था जो अन्य राज्यो में कारगर साबित हुआ अतः मध्य प्रदेश में शिवराज का विकल्प कोई महिला नहीं है। बचता छत्तीसगढ़ है जहां भाजपा से दो सांसद रेणुका सिंह और गोमती साय विधायक निर्वाचित हुई है। इनके अलावा लता उसेंडी भी वरिष्ठ विधायक हो गई है। छत्तीसगढ़ में 21 आदिवासी सीट पर भाजपा को जीत मिली है। ऐसे में आदिवासी और महिला का कांबिनेशन देखे तो माना जा सकता है कि पार्टी विचार कर सकती है।
दूसरा तर्क ये भी हो सकता है कि शिव राज सिंह चौहान पिछले चुनाव में सरकार नहीं बना सके थे।शुक्र है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण सत्ता पलट कर भाजपा की झोली में डल गई। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में पसंद बनते है तो राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया और छत्तीसगढ़ में डा रमन सिंह ही वरिष्ठता और सामंज्यस के नाम पर समर्पित सदस्य है। इनके ही नेतृत्व में तीनों राज्यों में भाजपा पिछले बीस सालों में मजबूत तो हुई है।
तीसरा विकल्प राज्य के प्रदेशाध्यक्ष है जो आमतौर पर परंपरा मानी जाती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव लडे नही है केवल छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ही चुनाव जीते है। उन्हे प्रदेश में कुर्मी जाति के काट के रूप में लाया गया था।। इस आधार पर उनकी दावेदारी बनती है। वे लोकसभा से इस्तीफा भी दे चुके है इसके चलते उन पर निगाहे लगी हुई है। चौथा विकल्प सबसे आश्चर्यजनक हो सकता है। जिनके नाम चर्चा में नहीं है और उन्हें चयनित कर पार्टी दीगर पार्टियों में खलबली मचा सकती है। जो भी हो,सस्पेंस बरकरार है और लोग बेकरार है