Breaking News

श्रीराम मंदिर के लिए अफगानिस्तान से आया खास तोहफा, जानें कश्मीर ने कैसे भेजा मोहब्बत का पैगाम

अयोध्या में बनकर तैयार हुए भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. इसके लिए एक सप्ताह पहले से चल रहे वैदिक अनुष्ठान का आज शनिवार (20 जनवरी) को पांचवा दिन है. इस बीच दुनिया भर से श्री राम मंदिर के लिए उपहार आ रहे हैं जिसमें अफगानिस्तान भी शामिल है. न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कश्मीर, तमिलनाडु और अफगानिस्तान से मिले उपहार श्रीराम मंदिर के ‘यजमान’ अनिल मिश्रा को सौंपे हैं.

‘मुस्लिम भाई बहनों ने कहा – हमारे मजहब अलग लेकिन पूर्वज एक’
आलोक कुमार ने दावा किया है कि श्री राम मंदिर निर्माण से मुस्लिम समुदाय में भी खुशी है. उन्होंने कहा “कश्मीर से मुस्लिम भाई-बहन मुझसे मिलने आए और राम मंदिर निर्माण पर खुशी जताई और कहा कि भले ही हम अलग-अलग धर्मों को मानते हैं, लेकिन हमारे पूर्वज एक ही हैं. उन्होंने जैविक रूप से उत्पादित 2 किलो शुद्ध केसर सौंपा.”

काबुल नदी का जल भी उपहार में मिला
आलोक कुमार ने बताया है कि दुनिया के दूसरे देशों के अलावा अफगानिस्तान से भी खास तोहफा मिला है. वहां की मशहूर नदी काबुल जिसे स्थानीय भाषा में “कुभा” कहा जाता है, उसका जल श्री राम मंदिर में भगवान राम के अभिषेक के लिए उपहार के तौर पर मिला है. आलोक कुमार कहते हैं, “तमिलनाडु के रेशम निर्माताओं ने श्री राम मंदिर का चित्र बुनी गई रेशम की चादर भेजी है.अफगानिस्तान से कुभा (काबुल) नदी का जल श्री राम के ‘अभिषेक’ के लिए भेजा गया है.”

पूरा हुआ है लकड़ी से अग्नि देव को प्रकट करने का अनुष्ठान
आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के चौथे दिन शुक्रवार को निर्धारित मुहूर्त सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई. इस विधि में शमी और पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है. श्रीराम लला के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में तिरुमाला देवस्थानम ट्रस्ट की ओर से एक लाख (तीन टन) महाप्रसाद (लड्डू) वितरित किए जाएंगे.

बेहद खास है दशरथ दीप
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी का परिचायक दशरथ दीप शुक्रवार को दिन ढलते ही प्रज्ज्वलित हो गया था. तपस्वी छावनी के तुलसीबारी स्थित परिसर में स्थापित इस दीप की परिधि तीन सौ फीट है. इसमें 21 हजार लीटर तेल के साथ सवा क्विंटल रुई की बाती का प्रयोग हुआ है. इस अवसर पर काशी के सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती सहित बड़ी संख्या में संत एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे. रामलला के नए विग्रह के नेत्र फिलहाल ढके हुए हैं. इन्हें 22 जनवरी को खोला जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *