वाराणसी के ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर को लेकर ASI की रिपोर्ट आ चुकी है. जिसमें दावा किया गया है कि मौजूद मस्जिद जहां बनी है, वहां पहले हिंदू मंदिर होता था. ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान 32 ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे इस बात की पुष्टि होती है कि मंदिर के अवशेष ज्ञानवापी परिसर में हैं. इस बीच, खबर है कि अखिल भारतीय संघ समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी को लेकर एक कसम खाई है और खाना छोड़ दिया है. आइए जानते हैं कि ये मामला क्या है?
ज्ञानवापी के लिए किसने छोड़ा अन्न?
बता दें कि अखिल भारतीय संघ समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि जब तक ज्ञानवापी हिंदुओं को वापस नहीं मिल जाती है, तब तक वह अन्न नहीं ग्रहण करेंगे. अपना जीवन चलाने के लिए अब से वह दिनभर में केवल सवा लीटर दूध का सेवन ही करेंगे. ज्ञानवापी मिलने तक वह अन्न को त्यागे रहेंगे.
हिंदू पक्ष के दावे को ASI ने मजबूती
गौरतलब है कि अयोध्या से काशी तक कालचक्र बदल रहा है. रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनने के बाद अब हर-हर महादेव की गूंज तेज हो रही है. हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है वहां पहले काशी विश्वनाथ का विशाल मंदिर था. हिंदू पक्ष के इस दावे को ASI की सर्वे रिपोर्ट ने और मजबूती दी है. ज्ञानवापी पर ASI के सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि ज्ञानवापी में मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई. आपको, ये तथ्य याद रखना चाहिए कि ASI ने ही अयोध्या में रामजन्मभूमि पर सर्वे के जरिए सच का पता लगाया था और राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ था.
अयोध्या की राह पर बढ़ता ज्ञानवापी का केस
जान लें कि ज्ञानवापी का मामला अयोध्या की राह पर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. ASI की जिस टीम ने ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट तैयार की. उसका नेतृत्व ASI के एडीजी प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने किया. इस टीम में 9 बड़े अधिकारी शामिल हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि इन 9 अधिकारियों में 2 मुस्लिम समुदाय से हैं. उनके नाम इजहार आलम हाशमी और आफताब हुसैन हैं.