माखी गुड में गड़ी रहे पंख रहे लिपटाय हाथ मले सिर धुने लालच बुरी बलाय- ये बात दो लोगो पर बुरी कदर से लागू होती है पहले है कांग्रेस के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल और दूसरे खाद्य विभाग के उप सचिव कम एम डी मार्कफेड कम एम डी नान। पहले चर्चा राम गोपाल अग्रवाल की। राइस मिल के धंधे से आते है। धान चांवल की जबदस्त जानकारी होना स्वाभाविक है। चांवल के धंधे में खूब कमा लिए थे।इसके बावजूद जी नही भरा।जोगी राज में भी धान में बहुत गुल खिलाये थे। आल नियर होटल से समता कालोनी फिर शंकर नगर जगह बदल बदल कर उगाही किए थे। बीच में पन्द्रह साल फिर से राइस मिल उद्योग में रमें रहे।इससे भी जी नहीं भरा। अंधे के हाथ बटेर लग गई। खुद का शासन आया तो मुंह मांगे विभाग ले लिया- नान। जानते थे कि धान और चांवल में गड़बड़ी कैसे की जाती है। नान में एक निरंजन दास मिल गए सोने में सुहागा। डबल इंजिन दौड़ने लगी। सारे जिले के डी एम को कह दिया चांवल की क्वालिटी कमजोर कर दो। कनकी बढ़ा दो। 12रुपए क्विंटल से साढ़े चार साल तक वसूली होती रही।
इससे भी जी नहीं भरा।एक और इंजिन जुड़ गई अनिल टुटेजा की तरफ से रोशन चंद्राकर, ये भी वसूली सेठ बन गए। खुद भ्रष्ट्राचार कर रहे थे तो बढ़िया और एफएसआई वाले ढाई हजार रुपए ट्रक मांगे तो हरिश्चंद ! केंद्रीय खाद्य मंत्री को लिखित शिकायत कर आए। एफएसआई वाले तो खा पी कर निकल लिए लेकिन थोड़े दिनों में आबकारी घोटाले के चलते संविदा पाए निरंजन दास को नान की कुर्सी छोड़नी पड़ गई। अब गद्दी कौन सम्हाले? प्रतिनियुक्ति के साल से बाहर हुए खाद्य विभाग के उप सचिव मनोज सोनी को मार्कफेड और नान दोनो का जिम्मा वसूली के लिए दे दिया गया। फिर गाड़ी दौड़ने लगी। इससे भी जी नही भरा। नान से 12और मार्कफेड से 20रूपये क्विंटल की वसूली खुले आम चालू हो गई। मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर हिसाबी हो गए। घर बुला बुला कर सकेल रहे थे । आई टी और बाद में ईडी ने रगड़ दिया। कच्चे चिट्ठे मिल गए। 175 करोड़ रुपए का हिसाब भी मिला जिसमे देने वाले सभी जिलों के डी एम का नाम भी है।
लेने वालो में रामगोपाल अग्रवाल,सहित मार्कफेड के डीएमओ भी है दो तो महिलाए है। रामगोपाल अग्रवाल और रोशन चंद्राकर दोनो राइस मिल चलाते हैं,दलाली जानते है, सो अपने ही साथी राइस मिलर से झोर रहे थे।खाद्य विभाग के आला अधिकारी भी है, जिनको प्रदेश के कंप्यूटर में हेराफेरी करने का लाभ मिला है।मार्कफेड के मामले में भी 20रुपए क्विंटल के कागजात और मिलर्स के नाम भी है। जिनके जिगर में दम नहीं था नाम गिन दिए। रामगोपाल अग्रवाल तो जगत वसूली सेठ बन गए है। क्या कोयला,क्या शराब क्या चांवल क्या धान, पार्टी के कोषाध्यक्ष थे या सारे घोटाले के कोषाध्यक्ष जिस डायरी में देखो आर.जी, आर.ए, सी टी ,राम गोपाल, अग्रवाल जी, जिस इलेक्ट्रिक डिवाइस में देखो राम गोपाल, व्हाट्सएप चैट में रामगोपाल। 52 करोड़ का हिसाब खुले आम दिख रहा है।
कांग्रेस शासन काल में ईडी को कुछ समझ नहीं रहे थे लेकिन कानून का डर अकेले में सताता है सो भग लिए।अंडर ग्राउंड है। बताते है किसी घर के बेसमेंट में चौकीदार के कमरे में रह रहे है। इधर ईडी घर पर सम्मन पे सम्मन चस्पा कर रही है। डर से फरार है। इनको 20और12रुपया दिलाने वाले मनोज सोनी भी फरार है। इतने कागज मिले है कि बचना मुश्किल दिख रहा है। किसी मस्जिद में पैसे रखे जाने की खबर ईडी को है तो मुखबिर बता रहे है कि बस्तर के किसी जिले में एक मुस्लिम परिवार के नाम पर रायपुर में जमीन खरीदी का चिट्ठा मिला है। अपने रिश्तेदारों को नान मार्कफेड में अनिल टुटेजा के बेटे हर्ष टुटेजा के सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के जरिए चौथ वसूलने वाली कंपनी के जरिए नौकरी दिलाए है। सरकार बदलने के बाद सभी की सिट्टी पिट्टी गुम है। बुढ़ापे में लाल कोठी के भीतर समय काटने का वक्त आ गया है कहां हो रामगोपाल कहां हो मनोज सोनी,हाजिर हो।