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विष्णु देव साय, विजय शर्मा और दयाल दास बघेल पर घोटालेबाजों से निपटने की बड़ी जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथनी पर विश्वास करना भाजपा के सत्ता और संगठन में बैठे प्रमुखों की महती जिम्मेदारी है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार करनी भी इनकी मजबूरी होना चाहिए। जिन मुद्दों को लेकर प्रधान मंत्री आम जनता को लाल किले के प्राचीर से गजरते है कि भ्रष्ट्राचार करने वालो को बख्शा नहीं जाएगा उस गरज पर अमल करने की मजबूरी छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री विष्णु देव साय,गृह मंत्री विजय शर्मा और खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल पर अन्य मंत्रियों की तुलना में ज्यादा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास सामान्य प्रशासन विभाग भी है, इस विभाग के माध्यम से उनके पास भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के स्थापना सहित उत्कृष्ट कार्य करने पर पीठ थपथपाने का जिम्मा है तो गलत कार्य करने पर नकेल कसने का भी दायित्व है। ऐसा ही जिम्मा अप्रत्यक्ष रूप से पुलिस विभाग के प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के लिए है वास्तविक रूप से पुलिस विभाग गृह मंत्री के मंत्रालय के अधीन होता है। कानून व्यवस्था एक सिक्के के दो पहलू है इसलिए गृह मंत्री के विभाग पर मुख्य मंत्री का नियंत्रण रहता है ।पुलिस अधीक्षक स्तर से ऊपर के अधिकारियों के स्थापना का जिम्मा भी मुख्य मंत्री अपने पास ही रखते है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन काल के दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा और पुलिस सेवा सहित राज्य प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारियों ने अनिवार्य भ्रष्ट्राचार( जिसे भगवान भी खत्म नहीं कर सकते) के अलावा सुनियोजित ढंग से षड्यंत्र कर घोटाला किया है उन्हे दंडित करने की जिम्मेदारी आप तीनों पर है

मुख्यमंत्री के आसंदी पर बैठने के बाद मुख्य मंत्री विष्णु देव साय की दो बाते मायने रखती है1 घोटालेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी 2 प्रशासनिक अधिकारी प्रशासन के दूसरे चक्के है जिनके साथ मिलजुल कर काम करना है। वाजिब बात है कि भारत सरकार निश्चित संख्या में आईएएस और आईपीएस अफसर सालाना रूप से आबंटित करती है।इन्ही के बल पर कानून व्यवस्था चलाना झखमारी होती है। ये बात सत्ता दल और अधिकारी जानते है। प्रशासनिक अधिकारी जानते है कि जन प्रतिनिधि कितना भी प्रशिक्षित हो जाए कानूनी बात समझने के लिए सलाहकार की जरूरत होती ही है। इसीलिए अधिकारी कानूनी भय दिखाकर जन प्रतिनिधियों को अपने प्रभाव में रख ही लेते है। इससे विलग होकर मुख्य मंत्री विष्णु देव साय को कांग्रेस शासन काल में दलाल बने कुछ आई ए एस और आई पी एस के विरुद्ध सख्त होना पड़ेगा।

अनिल टुटेजा, यद्यपि सेवा निवृत हो गए है लेकिन उनके विरुद्ध जितनी भी सख्त कार्रवाई किया जाना चाहिए वे लंबित है। अनिल टुटेजा ने भाजपा शासनकाल के मुख्य मंत्री डा रमन सिंह के खिलाफ अनर्गल दुष्प्रचार किया। कानूनी दांव पेच के बल पर भले ही बड़े घर नहीं गए है लेकिन इनके घोटालों पर ध्यान रखने की जरूरत है। इनके सुनियोजित षड्यंत्र के कारण दो दो आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और रानू साहू जेल में है। ये दोनो अधिकारी दरिद्र थे जो झांसे में आ गए। ऐसे ही झांसे में आए तीन चार आईएएस अधिकारी और भी है जिनकी चर्चा पिछले शासनकाल में खूब रही है। निरंजन दास उनमें से प्रमुख नाम है। केंद्रीय विभाग से प्रतिनियुक्ति में आए अधिकारी, राज्य में आकर अमरपति त्रिपाठी और मनोज सोनी हो जाते है। जिनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि खत्म हो उन्हे यहां रखने का मतलब सिर्फ वातावरण को गन्दा ही करना है। गृह मंत्री विजय शर्मा, पिछले शासन काल में प्रशासन और पुलिस से जितना प्रताड़ित हुए है उतना शायद ही कोई मौजूदा विधायक होगा।

कबीरधाम के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने तो सूट ए साइट का भी प्लान बना लिया था। ऐसे दोगले पुलिस अधिकारियों को नहीं देखेंगे तो किसे देखेंगे। कांग्रेस शासन काल में परिवहन और जनसंपर्क में शासन के दलाल बने दीपांशु काबरा का नाम भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की सूची में पहले क्रम में है। उनके यहां केंद्रीय जांच एजेंसी घुस चुकी है। प्रायोजित मीडिया और राज्य के मीडिया पर सेंसर शिप लगाने वाले इस अधिकारी ने प्रेस को 15से50हजार का लिफाफा प्रेमी बनाकर रख दिया था। परिवहन विभाग में हैदराबाद की कंपनी से फिटनेस के नाम पर चौथ वसूली कैसे की गई जांच का विषय है।आज जिन महानुभावों का नाम फोटो सहित शुमार हो रहा है वह दो महीने पहले क्यों नहीं छपे थे। ये करतूत दीपांशु काबरा की थी. आरिफ शेख अगला नाम है। उनके कार्यकाल में एक भी अधिकारी आय से अधिक संपत्ति नहीं कमाया। एक भी छापे नही पड़े। सुनियोजित शिकायते बनाना और पैसे वसूलना धर्म हो गया था। बुला बुला कर सरकारी अधिकारियो से अरबों रुपए वसूल कर ऊपर दिए गए है। आनंद छाबड़ा जिन्होंने जांच एजेंसियों की निगरानी का भर काम किया। गोपनीयता भंग की। भाजपा के जन प्रतिनिधियों के गतिविधियों की निगरानी की और अपने आप को समर्पित कर दिया।

अभिषेक माहेश्वरी, एक चर्चित नाम है जिसने पत्रकारो को शासन के खिलाफ लिखने पर उनके खिलाफ नशा और लड़की आपूर्ति का प्रकरण बनवाया। एक वकील के माध्यम से पैसे उगाही करवाई। ये वकील मुख्य मंत्री बंगले के पास ही रहता है। कबाड़ियों सहित सोने के व्यापार करने वालो को चोरी का सोना खपाने के नाम पर करोड़ों रुपए वसूलने वाले को बख्शा नहीं जाना चाहिए। तीसरी जिम्मेदारी खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल की है। उनके पार्टी के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की पीडीएस नंबर वन थी।अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया की टीम ने राशन सिस्टम के कंप्यूटर में इतने घाल मेल किए कि सारी व्यवस्था तहस नहस हो गई। अनिल टुटेजा के भाई के साथ पढ़ाने वाले खाद्य विभाग के आला अधिकारी ने पद का दुरुपयोग कर , छः अरब का राशन सामग्री को खुले बाजार में बिकवा दिया। प्रदेश का मैदानी अमला घोषणा पत्र में बता रहा था लेकिन घोटाले के लिए हर महीने राशन दिया गया। खुद के हाथ पकड़ा रहा है तो विभाग के मैदानी अमले को जिम्मेदार बताने का खेल चल रहा है। खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल को सख्त होना चाहिए और ऐसे अधिकारी को हटा कर ईडी या सीबीआई से जांच कराना चाहिए। भाजपा को आम जनता ने बड़ी उम्मीद से सत्ता में लाया है वे नाउम्मीद न हो.

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