नई सरकार आने के बाद हर तरफ बदलाव की बयार चल रही है। जनता और प्रदेश के कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं है। जब से विष्णुदेव साय की सरकार आई है। पूराने सरकार के निर्णयों और फैसलों पर लगातार समीक्षा कर उस पर निर्णय लिया जा रहा है। उनके उन कामों की जांच हो रही है जहां पर गड़बड़ी हुई है। इन सब मामलों को देखकर कहा जा रहा है कि सब पर नजर है, तो वो लोग कैसे छूट गए जो मोटी कमाई करने दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर आज भी चांदी काट रहे हैं। वैसे प्रशासन में जमीन और हजारों राजस्व मामले पेंडिंग हैं। विभाग अफसरों की कमी बता रही है। ऐसे में राजस्व विभाग के जो अधिकारी परिवहन विभाग में बैठकर आरटीओ का काम देख रहे हैं उनकी घर वापसी कब होगी।
इनमें पिछली सरकार और उनके कारिंदों के मुंह लगे लोग शामिल हैं। इनमें शशिकांत कुर्रे और अमित बेक का नाम शामिल है। ये सब बिलासपुर, कोरबा और अन्य जिलों में पिछले दो साल से पदस्थ हैं। परिवहन के अफसरों को मौका देकर इनकी घर वापसी का प्लान साय सरकार के अब तक तैयार नहीं किया। वैसे सीएम श्री साय के राजनीतक गुरू ने आदिवासियों की घर वापसी कराकर अपने राजनीतिक कैरियर को काफी आगे बढ़ाया। ऐसे में इन पिछले सरकार की नियुक्ति को रद्द कर आरटीओ के नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए। वैसे भी परिवहन विभाग के बड़े अफसरों को हटाने के बाद निचले क्रम में ऑपरेशन घर वापसी चलाने से ही यहां के सड़कों में चल रहे अवैध और भारी भरकम वाहनों पर रोक लग सकती है। हाल ही में बिलासपुर, बिल्हा, कोरबा, और सरगुजा में खनिजों के अवैध परिवहन के मामलों में बढ़ोत्तरी भी स्वीकार किया गया है। ऐसे में इन पुराने सरकार के खातेदारों को बदलने से क्षेत्र में भी खुशहाली आएगी वरना यहीं कहा जाएगा कि पुरानी सरकार के कारिंदों को शह देकर बिठाया गया है।