नई दिल्ली. ज्ञानवापी मामले में व्यासजी तहखाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील हुजैफा अहमदी ने दलील दी कि व्यास तहखाने के मामले में कब्जा देने के आदेश में 7 दिन का समय दिया गया था और हाईकोर्ट ने राहत नहीं दी और वहां पूजा हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या तहखाने और मस्जिद में जाने का एक ही रास्ता है? इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि तहखाना दक्षिण में हैं और मस्जिद जाने का रास्ता उत्तर में है. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि रास्ते अलग है, नमाज पढ़ने जाने के और पूजा पर जाने को तो ऐसे में हमारा मानना है की दोनों पूजा पद्धति में कोई बाधा नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि तहखाने और मस्जिद में जाने का रास्ता अलग है तो फिलहाल हम यथा स्थिति रखते हैं. सीजेआई ने कहा कि हमें पूरी तरह से इस पर स्पष्टता चाहिए कि आने जाने का रास्ता तहखाने का कहां से है और मस्जिद में प्रवेश का कहां से है. अहमदी ने कहा कि जब 30 साल बीते चुके थे तो आखिर इतनी जल्दबाजी क्या थी? अहमदी ने कहा कि तहखाने में पूजा का अधिकार नहीं देना चाहिए. कई अलग अलग अर्जियां है. एक मैं नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
हिन्दू पक्ष ने दी यह दलील
वहीं हिंदू पक्ष की तरफ से श्याम दीवान ने सीजेआई की बेंच के सामने दलील दी कि नॉर्थ साइड मस्जिद में जाने का और साउथ साइड व्यास जी के तहखाने में जाने का रास्ता है. इस मामले में अदालत को नोटिस नहीं जारी करना चाहिए. ये नोटिस जारी करने का मामला नहीं है. दीवान पक्ष ने कहा कि व्यास जी के परिवार को नहीं बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारी द्वारा पूजा की जा रही है. इस मामले में अब ज्ञानवापी के मामले में सुनवाई लंच के बाद जारी रहेगी.
30 साल से नहीं हुई थी पूजा: मुस्लिम पक्ष
मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि पिछले 30 साल से पूजा नहीं हुआ थी. ऐसे में यह अदालत निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाए. यह मस्जिद के परिसर में है और इसको इजाजत देना उचित नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने व्यासजी तहखाने में पूजा की इजाजत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि निचली अदालत ने एक हफ्ते में पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था, लेकिन यूपी प्रशासन ने रात को ही पूजा के लिए तहखाने को खुलवा दिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमिटी की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
मुस्लिम पक्ष ने कहा, कोई साक्ष्य नहीं है
मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हिंदू पक्ष के मुताबिक, 1993 में तहखाने में राज्य सरकार द्वारा लॉक लगाया गया. अहमदी ने कहा कि 31 जनवरी को रात में बैरिकेट हटा दिए गए और सुबह 4 बजे से पूजा शुरू कर दी गई. अहमदी ने कहा कि इस मामले में आदेश में सिविल प्रोसिजर को फॉलो नहीं किया गया. सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह पाया है कि पहले कब्जा व्यास परिवार के पास था. अहमदी ने कहा कि यह उनका दावा है. कोई साक्ष्य नहीं है. यह मस्जिद की जगह है. मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता. ऐसा आदेश सिविल कोर्ट कैसे दे सकती है.