Supreme Court On Stray Dogs: आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और इसके समाधान के लिए बने ‘पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों’ को लागू करने में कोताही बरतने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर बेहद सख़्त हो गया है. न्यायालय ने आदेशों का पालन न करने पर कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों (Chief Secretaries) को व्यक्तिगत रूप से (physically) अदालत में पेश होने का फरमान सुनाया है.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का कोई सम्मान नहीं किया जा रहा है और ऐसा लगता है कि सभी ज़िम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में हैं.
वर्चुअली पेश होने की अर्जी ख़ारिज
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने और उन्हें वर्चुअल माध्यम से शामिल होने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने सीधे तौर पर ख़ारिज कर दिया. जस्टिस नाथ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “नहीं, उन्हें शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा. कोई सम्मान नहीं है अदालत के आदेशों के प्रति. अब उन्हें आना होगा और समझाना होगा कि हलफनामे क्यों नहीं जमा किए गए.”
क्यों खराब हो रहा है कोर्ट का कीमती समय?
पीठ ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय का बहुमूल्य समय उन मामलों को सुलझाने में लग रहा है, जिन्हें नगर निकायों और राज्य सरकारों को वर्षों पहले ही निपटा लेना चाहिए था. कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संसद नियम बनाती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती. कोर्ट ने पहले ही ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स’ के क्रियान्वयन पर रिपोर्ट मांगी थी.
पिछला आदेश
27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल न करने पर तलब किया था. लेकिन पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ही अब तक हलफनामे दाखिल किए हैं.
सुनवाई के दौरान गैर-अनुपालनकारी राज्यों का कोई वकील या प्रतिनिधि भी मौजूद नहीं था, जिस पर पीठ ने कड़ी नाराज़गी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक ABC नियमों के क्रियान्वयन पर हलफनामे जमा नहीं किए हैं, उनके मुख्य सचिव अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस लापरवाही की वजह बताएंगे और तुरंत हलफनामे दाखिल करेंगे.
यह सख्त रुख दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों की समस्या को गंभीरता से ले रहा है और वह चाहता है कि राज्य सरकारें ‘पशु जन्म नियंत्रण नियमों’ (Animal Birth Control Rules) को सख्ती से लागू करें, ताकि सड़कों पर कुत्तों की आबादी को नियंत्रित किया जा सके और जन-सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
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