सूरत के बाद अब इंदौर से भी कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी ने नाम वापस ले लिया।उधर दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष लवली ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया। 542 लोकसभा सीट में से केवल 320 सीटों पर चुनाव लडने वाली कांग्रेस में पार्टी के प्रत्याशियों से लेकर संगठन के पदाधिकारियों के द्वारा कांग्रेस छोड़ना शुभ संकेत नहीं है।
कांग्रेस के आधार स्तम्भ सोनिया गांधी का रायबरेली सीट से चुनाव न लड़ने के बदले राजस्थान से राज्य सभा में जाना ये निर्धारित कर दिया कि कांग्रेस किसी भी प्रकार का जोखिम मोल नही लेने की स्थिति में आ चुकी है। अगर राजा ही पिछले दरवाजे से महल के बाहर चला जाए तो प्रतिद्वंदी से सेना लड़ेगी कैसे? कांग्रेस के अनेक महारथियों के चुनाव न लडने की घोषणा ने कांग्रेस के मनोबल को तोड़ने का काम किया है। नवीन जिंदल का कांग्रेस छोड़ना ये बता रहा है कि प्रदेश स्तर पर नियंत्रण का अभाव है। महाराष्ट्र से संजय निरुपम का कांग्रेस से पलायन ये इशारा कर रहा है कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी उस इमारत के समान हो गई गई जो अत्यंत जर्जर है और कभी भी भसक सकती है।
आज जो घटना इंदौर और दिल्ली में घटी उससे ये भी संकेत मिल रहे है कि कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकताओं के मन के विपरीत गठबंधन से बगावत की स्थिति बनी हुई है। दिल्ली में आप पार्टी से समझौता करना दिल्ली कांग्रेस के अनेक पदाधिकारियों को जम नही रहा था। कांग्रेस ने ही श्रेय लिया था की दिल्ली के शराब घोटाले का खुलासा उन्होंने ही किया था लेकिन उसी आप पार्टी से हाथ मिलाकर चुनाव लडना गले से नीचे नही उतरा। दिल्ली में कन्हैया कुमार को टिकट देना भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए हतप्रभ करने वाली घटना थी। कन्हैया कुमार को राहुल और प्रियंका गांधी के कारण दिल्ली से मनोज तिवारी के खिलाफ खड़ा किया गया है। कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में बेंगुसराय से 2019 का लोकसभा चुनाव लडे थे वो गिरिराज सिंह से चार लाख बाइस हजार मतों से पराजित हुए है।
दिल्ली के स्थानीय प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलने से मचे बवाल में भाजपा से कांग्रेस में आए उदित राज को भी प्रत्याशी बनाना बगावत का कारण है। लोकसभा में पिछले दो लोकसभा चुनाव में क्रमश 44 और 52 सीट मिली है। पिछले चुनाव में केरल, तमिलनाडु और पंजाब छोड़ बाकी राज्यों से एक दो सीट में कांग्रेस सिमट गई थी। उत्तर पश्चिम में रायबरेली से सोनिया गांधी इकलौती प्रत्याशी थी जो जीती।राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे। अपनी संभावित हार के डर से वायनाड गए और भाजपा को ये कहने के लिए प्रमाण मिल गया कि कांग्रेस मुस्लिम और मुस्लिम कांग्रेस के भरोसे है। अभी भी अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी तय नहीं कर पा रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस चाहती है कि प्रियंका गांधी, रायबरेली और राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लडे। अगर ऐसा नहीं होता है तो। पार्टी के कार्यकर्ता निराश होंगे