त्रिपुरा से एक बड़ा दिल दहलाने वाला सामने आया है। यहां एक लाचार मां को अपने ही नवजात बच्चे को बेचने पर मजबूर होना पड़ा। गरीबी से परेशान महिला ने मात्र पांच हजार रुपये में अपने बच्चे को बेच दिया। हालांकि बाद में बच्ची को बचाकर उसकी मां को सौंप दिया गया।
पांच माह पहले पति की मौत
महिला के पति की मौत पांच महीने पहले हुई थी। पति के जाने के बाद महिला के खाने के भी लाले पड़ने लगे थे। इस पर उसने अपने नवजात बच्चे को बेचने का फैसला लिया। हालांकि, विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी के हस्तक्षेप के बाद सौभाग्य से चार दिन की बच्ची को पश्चिम त्रिपुरा जिले के हेजामारा में एक दंपती से बचा लिया और उसे उसकी मां से मिला दिया।
बुधवार को हुआ था बेटी का जन्म
सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अरींदम दास ने बताया, ‘गंडाचेरा उपमंडल की ताराबन कॉलोनी की 39 साल की मोरमती त्रिपुरा ने बुधवार को घर पर बेटी को जन्म दिया। अगले दिन उसने अपने पति की मौत के बाद गरीबी का हवाला देते हुए बच्चे को हेजामारा में एक दंपती को मात्र पांच हजार रुपये में बेच दिया।’
पहले से तीन बच्चे
उन्होंने कहा, ‘पहले से ही तीन बच्चे हैं दो बेटे और एक बेटी। पैसों की कमी के चलते एक और बच्चे का खर्च उठाना महिला पर भारी पड़ रहा था। उसने सोचा कि वह कैसे ही बच्ची को पालेगी। इसलिए उसने बच्ची को बेचने का कदम उठाया। हमें जैसे ही इसकी जानकारी हुई हमने तुरंत जांच शुरू कर दी। कार्रवाई करके अगले दिन बच्ची को उसकी मां से मिला दिया।’
जितेंद्र चौधरी ने एक वीडियो साझा किया
इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी ने एक वीडियो साझा किया था। उन्होंने बताया था कि महिला ने गरीबी का हवाला देते हुए बच्ची को बेचने की बात कबूल की थी। इसके बाद मुख्य सचिव जे के सिंह ने शुक्रवार को तत्काल कार्रवाई की।
चौधरी ने आरोप लगाया कि मोरमती के पति पूर्णजॉय लकड़ी बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन वित्तिय परिस्थितियों के बीच उचित देखभाल नहीं मिलने के कारण निधन हो गया। इससे परिवार की स्थिती और बिगड़ गई। परिवार के पास गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) राशन कार्ड नहीं था। चौधरी ने संकटग्रस्त लोगों को सहायता प्रदान करने में विफल रहने के लिए भाजपा सरकार और टिपरा मोथा के नेतृत्व वाले त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) दोनों की आलोचना की।