प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद उन अफसरों में धुकधुकी मची हुई हैं, जो कांग्रेस सरकार के समय खुब चर्चें में रहें। इन अधिकारियों में दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड में रहने वले अधिकांश राजस्व विभाग के अफसरों ने नियमों को ताक में रखकर काम किया। उनके समय में इन अफसरों ने अपनी पोस्टिंग मलाई वाले विभागों में करा ली। खसरा-रकबा से जुड़े इन अधिकारियों का अनुभव अपनी नौकरी के चंद सालों में ही धन्नासेठ बन गए हैं। कांग्रेस शासन के दौरान इन लोगों को आशीष भी मिला, वहां पर दारू और बकरा भात के शौकिन रहे लोगों की जमघट से चर्चा में आए ये अफसर अब ठिकाने की तलाश में हैं। कहा जाता है कि सरकार की शह पर हवा में उड़ने वाले अफसरों ने वहां पर खुब जमीन दबाए।
अब उनके हिसाब की बारी आ रही है तो वे उसे ढांकने में लगे हैं। आखिर पासा पलटने के बाद वे अपनी मासूमियत दिखाने में लगे हैं। नौकरशाही की फितरत होती है कि जिसकी सरकार उसकी बोली बोलें। उन्हें जनता के काम से बढ़कर अपना जुगाड़ ज्यादा प्यारा होता है। चुनाव के अंतिम समय तक उन्हें इसका अंदाज नहीं था, लेकिन परिणाम आने के बाद बदहवास होकर अपने पुराने कारनामें को ढकने में लगे हैं। कार्यपालिक तृतीय श्रेणी के पद को छोड़ अन्य मलाई वाले विभागों को चैन पकड़ कर खजाना भरने वालों को लगने लगा कि उनका ठिकाना फिर से वहीं आएगा। अब वे आसपास नहीं दूर ही होंगे राज्य के नौकरी के बहाने उन्हें दुरस्थ क्षेत्र में जाना पड़े तो आश्चर्य नहीं होगा।
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प्रदेश के अलावा जिले में सभी विभागों में अफसर के नाम चिन्हित कर ऊपर भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। लगातार मिल रहे 5 सालों में शिकायत के बाद अब अफसर टेंशन में नजर आ रहे हैं, और आए भी क्यों नहीं। 5 साल में लगातार मनमानी एवं मनमौजी की जिंदगी की जीने वाले अफसर पर गाज गिरने की बारी आ गई है। बहुत ही जल्दी सरकार गठन के होने के बाद इन अफसर की छुट्टी तय मानी जा रही है। वही भ्रष्टाचार लिप्त अफ सरों पर अब कार्रवाई भी शुरू हो जाएगी।