भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने तीन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश में बहुमत हासिल करने के बाद मुख्य मंत्री बनाने में सस्पेंस बनाया। सात दिनों तक मुख्य मंत्री पद के दावदारो सहित राजनीति में रुचि रखने वालो को जो मुद्दा दिया और अंततः तीनों राज्यों में नए मुख्य मंत्री बना दिया।
मंत्रिमंडल गठन में भी कम सस्पेंस नहीं है। पहले चर्चा थी कि मुख्य मंत्री के शपथ के साथ मंत्री मंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे। ऐसा नही हुआ। चर्चा में नई बात आई कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंत्री मंडल गठित होगा। इसके बाद बात आई कि पुराने मंत्री ठीक वैसे ही रिपीट नहीं किए जायेंगे जैसे पुराने मुख्य मंत्री रिपीट नहीं किए गए है। सांसे रुक गई है पुराने मंत्रियों सहित उनके समर्थको की सांस थम रही है। इतनी मेहनत कर भैया को जिताए है मंत्री बनेंगे तो अपनी भी दुकान चलेगी। दूसरी तरफ नए विधायक जो जीते है उनके समर्थक आनंदित है कि भैया मंत्री बनेंगे तो उनकी दुकान चलेगी।
इधर जो लोग दोनो तरफ नही है वे अपनी बात रख रहे है कि नरेंद्र मोदी ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। जिस किसी मंत्री या उसके समर्थको द्वारा ऐसा कार्य किया जाएगा उसके प्रति कड़ी कार्यवाही किए जाने की बात कह रहे है। राजनीति के पंडितो की अपनी दुकान है।हर दिन नए मंत्री बन रहे है हर दिन पुनर्गठन हो रहा है हर दिन इस्तीफा लिया जा रहा है।
ये गजब की बात है कि जिस देश के अनेक राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहा है वहा मुख्य मंत्री सहित मंत्री के नाम वो भी तीन तीन राज्यो के मंत्रियों के नाम लीक नही हो पा रहा हे। भाजपा की इस रणनीति को हर पार्टी सहित हर राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष सहित सचिव को सीखना चाहिए कि गोपनीयता किसे कहते है।