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आर जी के लिए रेड कार्नर नोटिस जारी करने की तैयारी में एजेंसियां

ईडी की जांच में एक बहुत बढ़िया वाक्या सामने आया था। जांच में चारों वेद के ज्ञाता से लिए करोड़ो रुपए में एक बड़ी राशि आर जी को देने का उल्लेख पकड़ा गया था। फंसे अधिकारी का जवाब भी लाजवाब था- रायगढ़ से गढ़ियाझोला रोड। ये आर जी कोई नही राम गोपाल अग्रवाल है। “नदियां से दरिया,दरिया से सागर”-नमक हराम फिल्म का एक गाना था। पिछले सरकार के राज में भ्रष्ट्राचार की सारी नदियां,अलग अलग दरिया में मिलने के बाद आर जी सागर में मिलती ही थी। घोटाला चाहे कोयला का हो या शराब का या फिर डी एम एफ फंड का हो या चांवल का , एक हिस्सा पार्टी फंड के नाम पर आर जी को मिलना अनिवार्य ही था। ईडी के अधिकारी हैरान थे कि जितनी भी डायरी मिली, कच्चा चिट्ठा मिला, कंप्यूटर में रिकार्डेड डाटा रिकवर हुए उनमें देने वाले कई थे लेकिन एक नाम कामन था आर जी का।

पिछली सरकार के पहले के सरकार के पहले भी साहब की सरकार छत्तीसगढ़ राज्य में हुआ करती थी उस जमाने में भी पार्टी की थैली सम्हालने की जिम्मेदारी मिली ही थी। उस दौर में भी प्रिय विषय धान चांवल ही था। होटल में, समता कालोनी में और न जाने कहां कहां पैसे रखते थे और पहुंचाते थे। हाउस के रसोइए ने देख लिया था सब्जी वाली गाड़ी को। दो तीन वाहन खरीद कर किराए से चलाने लगा था। खैर बीच में लंबा गैप आ गया। जनता ने मौका दिया तो आर जी की निकल पड़ी। नान के अध्यक्ष बन गए। फिर क्या था, हाथ पैर की बीसो उंगलियां घी में और सर कढ़ाही में। हाउस की मैडम, सर, तिवारी ,काबरा सभी इस थैली में पैसा डालने के लिए तैयार हुआ करते थे। एक आदमी फालतू बदनाम हुआ करता था कि एटीएम है। असली पैसा तो आर जी के पास होता था। राज्य के सारे हवाला वाले रोज मुंह धोने जाया करते थे पैसे से। मैनेजमेंट इतना बढ़िया था कि एक प्रमोटी आईएएस सारे कायदे कानून दरकिनार कर राइस मिलों से कस्टम मिलिंग का 12रूपये, धान बिक्री का 300रूपये, राइस मिलिंग कमीशन का 20 रूपये क्विंटल सकेलने के लिए बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघ गए।

आबकारी को बगल में दबा कर उधर नकली होलोग्राम, एक्स्ट्रा दारू सभी जगह से पैसे ला रहे थे। आबकारी वाले साहब जांच के घेरे में आए तो संविदा भी भारी पड़ गई। भाग लिए। जिसके मुंह खून लगा हो वो आदमखोर ही होता है खोज लिए एक और बाहरी सोनी जी। दो दो विभाग की जिम्मेदारी ले लिए। अपने ही जिले के एक व्यापारी और मिल गया। ये व्यापारी प्रदेश के मुखिया के यहां के एक दरबारी का खास हुआ करता था। शुरू हो गई गाड़ी। अपने ही मिलर्स भाईयो का खून चूस रहे थे उल्टा दादागिरी दिखा दिए एफसीआई के अधिकारियों के खिलाफ। पड़ गया छापा।गधे के सिर के सींग जैसे गायब है। नोटिस पर नोटिस चस्पा हो रहे है लेकिन पता लापता है।सूत्रों के हवाले से हवाला में पैसा भेजने वाले के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी होने वाला है। हवाई मार्ग से उड़ना जी का जंजाल बन सकता है। अरबों रुपए इधर उधर करने के बाद खुद इधर उधर, बेसमेंट में चौकीदार के घर में कब तक रहेंगे। आजकल मुखबिर जो गली गली मौजूद है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार आगे क्या करेगी चांवल घोटाले की परत उधेड़ेगी या लीपा पोती करने वालो की बात मान जायेगी।

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