पांच साल पहलेकांग्रेस पार्टी की मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार थी। मध्य प्रदेश, सिंधिया जी की कृपा से कांग्रेस के कमलनाथ की सरकार गिर गई। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार वापस नहीं आई लेकिन उनकी सरकार पर छत्तीसगढ़ की सरकार के समान आरोप नहीं लगे। छत्तीसगढ़ मानो घोटालागढ़ बन चुका था। ऐसा कोई विभाग नहीं बचा था जिसमे छोटे मोटे घोटाले न हो। खाद्य विभाग ने सारे घोटाले के मामलों में अमरजीत भगत के मंत्री रहते प्रथम स्थान अर्जित किया। प्रदेश में कोयला घोटाला केवल दो हजार करोड़ का है,शराब घोटाला भी लगभग इतना ही है लेकिन प्रदेश में राशन घोटाले की राशि का हिसाब किताब ही नहीं है।
मुख्यमंत्री के कार्यालय के दो रसूखदारों के निर्देश पर सुनियोजित ढंग से भाजपा के शासन के दौरान शानदार पारदर्शी राशन प्रणाली को धन उगाही का जरिया का जरिया बना लिया गया। सबसे पहले कोरोना बीमारी के समय प्रधान मंत्री अन्न योजना का लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए का चांवल गरीबों को बाटने के बजाय कंप्यूटर सिस्टम में गड़बड़ी करवा कर खुले बाजार में बिकवा दिया। इस खेल के लिए मुख्य मंत्री कार्यालय में जेल की हवा खा रही सौम्या चौरसिया ने खाद्य संचालनालय में काम चलाऊ डायरेक्टर भेजे जिनको किसी भी प्रकार से निर्णय लेने की आजादी नहीं थी। संचालनालय का कंप्यूटर एनआईसी अपर संचालक के नियंत्रण में था। सारे घोटाले को यही जन्म दिया गया और हर क्विंटल चांवल के लिए राशि तय कर राशन माफिया से वसूला गया।
इसके बाद अनिल टुटेजा ने प्रदेश की राशन वितरण में गड़बड़ी के लिए अपने भाई के कोचिंग क्लास में पढ़ाने वाले खाद्य संचालनालय के एडिशनल डायरेक्टर के जरिए राशन दुकानों के चांवल और शक्कर में कोटा घोटाला शुरू किया। इसके लिए प्रदेश के पांच हजार ऐसी राशन दुकानों का चयन किया गया जहां के गोदाम छोटे थे। इन दुकानों में चार साल तक 65 हजार टन चांवल अधिक भेज कर गड़बड़ी की गई है। भाजपा ने इस घोटाले को विधान सभा में उठाया तो खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वीकार किया था कि उनकी सरकार ने ही जांच करवा कर उक्त घोटाले को उजागर किया है लेकिन कार्यवाही के नाम पर मुख्य मंत्री चुप्पी साध लिए। अभी भी खाद्य संचालनालय का अधिकारी घोटाले को छुपाने के लिए विभाग के कंप्यूटर सिस्टम में तकनीकी त्रुटि का अवसर खोज रहा है।
ईडी ने छत्तीसगढ़ सरकार के ईओडब्ल्यू में एक एफ आई आर दर्ज कराई है जिसमे सूर्यकांत की डायरी में 45 लाख रुपए देने की एंट्री है। खाद्य मंत्री रहते हुए अमरजीत भगत ने ट्रांसफर उद्योग खोल लिया था। प्रदेश के हर जिले के खाद्य अधिकारियो से अपने विशेष कर्तव्य अधिकारी अतुल शेट्टे के जरिए काम कम से कम करोड़ रुपए वसूले है। हर जिले के अधिकारियों से कस्टम मिलिंग के चावल के बदले 2 से 4 रूपये क्विंटल राशि वसूली गई है। अमरजीत भगत का ओएसडी व्हाट्सएप कॉल करके सबसे तगादा कर पैसे मंगाता था। ये राशि ला विस्टा और रोमेंसक्यू के परिसर में बने ओएसडी सहित एक और अनाज व्यापारी के घर में जमा किए गए है।
आयकर विभाग के अधिकारी जब इनके घरों में घुसे तो देखते रह गए। विलासिता की वस्तु सहित एक डिप्टी कलेक्टर का घर अरबपतियों के घर को मात दे रहा है। बताया जाता है कि आयकर अधिकारियों को रोमेंसक्यू परिसर के एक घर से ऐसे दस्तावेज मिले है जिसमे बिलासपुर,रायपुर,दुर्ग और धमतरी के खाद्य अधिकारियो द्वारा कस्टम मिलिंग के एवज में दिए गए रकम का ब्यौरा है। इसकी जांच ईडी को दिए जाने की संभावना बताई जा रही है.