पुरानी सरकार में मंत्री के एक खाली पद पर “सीता”पुर से चुने कौशल्या (नाम का उल्लेख इसलिए क्योंकि अवैध कब्जे में सौजन्य सहित नाम उल्लिखित है) के पति महोदय अमरजीत भगत का नाम दुसरे मंत्रियों की तुलना में ज्यादा ही चर्चित और विवादास्पद है। खाद्य विभाग मिला था, संस्कृति मंत्री भी थे। जिम्मा मिला था राज्य के गरीबों के पेट भरने और राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देने का। काम क्या किए,गरीबों के पेट में हाथ डाल कर चांवल,गुड,शक्कर,चना बेच खाए।राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देना था लेकिन राम वन गमन पथ में ही पैसा खा गए,।आमतौर पर मंत्रियों के चाल चेहरा और चरित्र ही सरकार का आईना होता है। दो आईने बाजार में है पहला आइना था आरंग से हारे मंत्री नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया का और दूसरा आईना है हारे हुए खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का।
संयोग ये भी है कि दोनो आईने में दोनो हारे हुए मंत्रियों की पत्नियों का नाम भी अवैध कब्जे में दिख रहा है। भगवान के नाम ट्रस्ट और समितियां बना कर अवैध कब्जा करना नया खेल नहीं है। सत्ता पक्ष जुड़े लोग ऐसा कर आम जनता को बताते है कि” समरथ को दोष नाही गोसाई”। आप चुपचाप तमाशा देखते रहो और सत्ताधारी अपने निर्वाचित होने का जश्न बेशर्मी से दिखाते रहते है। शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया की समिति से कब्जा मुक्त होने के बाद अब नज़र लगी है हारे हुए खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के बंगले के सामने की “कुटिया” पर है। अमरजीत भगत खाद्य विभाग में रहते रहते ही बदनाम हो चुके थे। क्या मार्कफेड, क्या नान क्या खुद का विभाग, सभी जगह से “कट” वसूल रहे थे। एक डिप्टी कलेक्टर रख लिए थे।
वसूली सेठ बना कर, और कचना सहित अमलीडीह में दो व्यापारियों को स्टोरेज सेंटर बना कर रखा था। यही नहीं दुर्ग,अंबिकापुर, मैनपाट में भी अकूत संपत्ति बनाने का गोपनीय कार्य जारी रखा था। इससे भी जी नही भरा तो सूर्यकांत तिवारी से चिल्ल्हर में कुछ लाख पा गए। यहां संतोष हो जाना था लेकिन सरकारी संपत्ति को चारागाह समझने वाले पूर्व खाद्य मंत्री जी ने विधायक कालोनी में अपने निवास के सामने के चारागाह पर ही अपनी नजर इनायत कर बैठे।सत्ता वापसी का दंभ भर कर मूंछ कटाने वाले की हार के बाद हर सप्ताह नाक कट रही है। चार बार से लगातार विधायक बनने वाले और सरगुजा के बाबा साहब को छूट सार्वजनिक रूप से गाली देने वाले अमरजीत भगत को विधायक कालोनी में जमीन आबंटित है। इस बंगले के सामने सरकारी चारागाह जमीन उपलब्ध थी।
इस जमीन में शासन से अनुमति लिए बगैर अवैध रूप से लगभग33हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर सरगुजा कुटीर(अगर ये कुटीर है तो अट्टालिका किसे कहा जायेगा) बना लिया। राजस्व और नगर निगम विभाग के नपुंसक अधिकारी इस बारे में निर्माण को देखते रहे लेकिन उनका भी क्या दोष, पिछली सरकार के बदला पूर्ण कार्यवाही के चलते वे भी फटी में थे। खैर, दरबार लगाने के लिए, इससे बढ़िया अवैध काम क्या हो सकता था। खुद के परिवार के लिए आधुनिक जिम, नाच गम्मत के लिए स्टेज, अवैध कार्यालय,, पार्किंग, पाक शाला, सार्वजनिक भोजन स्थल, मंदिर जो अमरजीत भगत और माता कौशल्या के सौजन्य से, क्या क्या नहीं बनाया। अनुमान है कि तीन से चार करोड़ रुपए खर्च कर सर्व सुविधायुक्त “कुटीर” बनाया गया था। न नक्शा पास है न ही अनुमति है लेकिन भूपेश थे तो भरोसा था, दोबारा आने का अहंकार इतना था कि “कुटिया” के मेंटेंस के लिए प्रदेश के खाद्य, नान और संस्कृति विभाग को मासिक खर्च का हिसाब थमा कर एक डिप्टी कलेक्टर तकादा करता था। राशि न मिले तो फर्जी नोटशीट तैयार रहती थी।
अब सरकार बदल गई है,नई सरकार तो अमरजीत भगत के पीछे नहा धो कर बैठ गई है।ईडी ने राज्य सरकार को लिखित रूप से सूचित किया है की सूर्यकांत तिवारी से सिर्फ 45 लाख रूपये लिए है।आयकर विभाग ने करोड़ो का सोना और रुपया तकिए से जब्त किया है,सरगुजा कुटीर के सामने से। अब दांव पर वैध निवास के सामने की कुटिया लग गई है।सीधे साधे अमरजीत भगत बोल रहे है सरकार अवैध समझती है तो तोड़ दे। फटाफट टनो के एयर कंडीशन मशीन निकाले जा रहे है।भगत जी आपने अवैध निर्माण किया है तो कुटिया की हर वस्तु अवैध है,सरकार में रह कर नियम नहीं जानते है कि जो वस्तु अवैध होती है वह शुरू से होती है। आपने इस कुटिया के लिए बिजली कनेक्शन कैसे प्राप्त किया, पांच साल तक कुटिया में खर्च बिजली के बिल का भुगतान किसके द्वारा किया गया, इसकी जांच होनी चाहिए।
सीएसईबी के अधिकारियो के विरुद्ध अवैध बिजली कनेक्शन और अमरजीत भगत पर नियम विरुद्ध कनेक्शन लेने के लिए मुकद्दमा चलना चाहिए। आम आदमी को भरोसा होना चाहिए कि जनादेश की खिल्ली उड़ाने वालो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो। अमरजीत भगत,खाद्य और संस्कृति विभाग को दुहने वाली गाय समझ कर बहुत नियमो की ऐसी तैसी किए है। 600करोड़ का राशन बचत घोटाला इन्ही के कार्यकाल की महान उपलब्धि है,जिसका खुलासा पिछले शासन काल में भूतपूर्व मुख्य मंत्री डा रमन सिंह (वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष) और वर्तमान शासन काल में भूतपूर्व विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक कर चुके है।विधान सभा के विधायको की समिति शीघ्र इसकी जांच करेगी तो अमरजीत भगत के कारनामों के और खुलासे होंगे।भगत जी आपने भले ही मूंछ नहीं मुड़वाया लेकिन आपकी नाक कितने बार कटेगी, बताइए।