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परेशानी है कि मानती नहीं!

ज्यादा दिन नही बीते है जब सत्ता के मद में दो महिलाएं पुरुषों की बैंड बजाया करती थी। एक पूरे प्रदेश में आतंक फैलाई हुई थी, दूसरी इस महिला के निर्देश पर कोरबा जिले में खेल, खेल रही थी। बहुत कम ऐसा होता है जिसमे भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी, अपने से चार स्तर के निचले अधिकारी की हर गलत बात को शिरोधार्य करे। एक तरफ सत्ता का मद कूट कूट कर भरा हुआ था दूसरे तरफ पैसे के आवक की चकाचौंध ने आंखो में कोयला भर दिया था।

कोयले की दलाली में लोग हाथ काले करते आए है ,ये नई बात नही है, नई बात है मुंह भी काला करा लेना। सत्ता और पैसे के दंभ में दो महिलाओ ने राज्य की बदनामी देश भर में कराई। दोनो ये मानकर चल रही थी कांग्रेस आजीवन सत्ता में रहने के लिए आ गई है। सैया भए कोतवाल तो डर काहे का, सैया चले गए और कोतवाल जेल पहुंच गई। जेल,भी सर्व सुविधायुक्त घर से दूर एक घर था, शान शौकत सहित विलासिता के सारे संसाधन हाथ में थे। पकड़ और अकड़ इतनी थी कि चौदह दिन के रिमांड खत्म होने पर एक बार भी कोर्ट नही आती थी। जेलर, मानो इनका नौकर हुआ करता था। घर का खाना पहुंचाना, मोबाइल, कंप्यूटर, फिल्मों के यूएसबी, सहित इटेलियन कमोड, डनलप के गद्दे नित्य कर्मों में था।

ईडी की माने तो एक आइएएस महिला अधिकारी और राज्य सेवा की महिला अधिकारी ने सरकारी सेवा के तीन साल के कार्यकाल में लगभग एक अरब रुपए सकेल चुकी थी।
सत्ता पलट के बाद खेल बदल गया। आज दोनो महिलाएं कोर्ट के गलियारे में दिखी। सत्ता परिवर्तन का असर दोनो के चेहरे में दिख रहा था। मुंह छिपाने के लिए मास्क लगाई हुई थी। ऐसा काम ही क्यों किया जिसके चलते मुंह छिपाने की नौबत आई!

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