कल हाई कोर्ट ने सत्ता के दुरुपयोग करने वाले निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सरगना को दोनों गाल पर कसकर तमाचा लगाया है।ये तमाचा जी पी सिंह आई पी एस अधिकारी के विरुद्ध किए गए षडयंत्र के खिलाफ आए निर्णय के कारण पड़ा है। कांग्रेस के शासनकाल में एक गिरोह काम किया करता था जिसके सरगना नान घोटाले का अधिकारी और राज्यसेवा की नामी गिरामी अधिकारी थी। ये लोग पालतू अधिकारियों का एक गैंग बना रहे थे जिसमें पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का भी चयन किया जा रहा था। चार पांच आई ए एस अफसर अपनी आमद दिखा चुके थे। आजकल सभी लूप लाइन में बैठे है।
इनमें से कुछ अधिकारियों के विरुद्ध ईडी छापेमारी कर चुकी है और कुछ के नाम महादेव सट्टा में शामिल है सीबीआई के द्वारा जांच होने पर इनके भी लाल कोठी में जाना तय है। जिन अधिकारियों ने सरगना और सरगनी के अनुसार काम नहीं किया उनको प्रताड़ित करने के लिए भी एक आईपीएस अधिकारी का चयन किया गया।ये अधिकारी व्हाट्सएप चैट में घोटालेबाज अधिकारियों सहित उनके बेटों को खबर देने का खबरिया था। एक झूठा केस इंप्लांट किया गया। जी पी सिंह के घर के बजाय पड़ोसी, रिश्तेदार सहित बैंक के एक अधिकारी को दबाव डाल कर फर्जी जप्ती का प्रकरण बना लिए। जनसंपर्क में भाड़े का अधिकारी बैठा ही था। खबरें चलवाने के लिए।अच्छे भले आदमी को परेशान कर डाला।
छत्तीसगढ़ की जनता ने सत्ता के नंगा नाच करने वालो को विधान सभा चुनाव में सचमुच में नंगा कर सत्ता से बाहर कर दिया। ये तो मानना पड़ेगा कि इस देश की न्यायपालिका में ही न्याय मिलता है। व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में कुछ बदनुमा चेहरे ऐसे है जिन्हें केवल अहंकार होता है। नियमो की कुव्याख्या करना इनका जन्म सिद्ध अधिकार हो जाता है।ये लोग राजद्रोह की परिभाषा जाने बगैर राजद्रोही खोज लेते है। जी पी सिंह भी ऐसे ही शोषण के शिकार हुए है। उन्हें राज्य की सर्वोच्च न्याय संस्था से न्याय मिला है। राज्य सरकार को इस निर्णय का पालन करने में देर नहीं करना चाहिए। एक आई पी एस अधिकारी की वर्दी को दागदार करने वाले पुलिस अधिकारियों की वर्दी उतारने का वक्त आ गया है।