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भूतपूर्व का अभूतपूर्व का जन्मदिन

अगस्त का महीना क्रांति का होता है। भारत में ये महीना क्रांति का महीना माना जाता है। भारत छोड़ो आंदोलन इसी महीने चला था। ऐसे में अगस्त में जन्म लेने वाले खुद को क्रांतिकारी मान लेते है।किस क्षेत्र में क्रांति किए है, इसके लिए क्रांतिकारी का इतिहास खंगाला जाता है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के हैट्रिक कार्यकाल में एक क्रांतिकारी ने सामने वाली पार्टी में जन्म लिया।क्रांति किया सफल हुआ और सत्ता में काबिज कर दिया जनता ने। बहुमत से बड़ा बहुमत दिया था। ऐसा ही बहुमत अजीत जोगी के समय में आतंकवाद के खिलाफ जनता ने भाजपा को दिया था। 15साल राज किए। वो तो नरेंद्र मोदी किसानों के दो साल का बोनस न रोके होते तो कोई बड़ी बात नहीं थी कि डा रमन सिंह आज भी पांचवें बार मुख्य मंत्री रहते।

खैर, बात आई गई हो गई। कांग्रेस सत्ता में आई तो ऐसे महत्वाकांक्षी व्यक्ति को सत्ता में भागेदारी दी जिसने पहले छत्तीसगढ़िया फ्लेवर को उभारा। सबको अच्छा लगा।सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया। चार चिन्हारी के आए नरवा, गरवा घुरुवा,बाड़ी की धूम मची। सबको लगने लगा , ग्रामीण संस्कृति प्रगाढ़ होगी। इसी बीच कोरोना काल आ गया। खूब दारू बिकवाए। स्थिति सामान्य हुई तो प्रदेश में अजीत जोगी का कार्यकाल का आतंक एक कोने में लग गया। प्रदेश में सरकारी अधिकारियों का एक काकस तैयार हो गया। लूटो लूटो रे साजना लूटो का दल बन गया। भाजपा के समय हुए नान घोटाले के सरताज कांग्रेस शासन में लूटने के लिए किंगपिन बन गए। एक उप सचिव रेंक की सुपर सीएम डकैती की एक से एक योजना परोसने लगी। इन सालों में तीन बार अगस्त का महीना आया।

जन्मदिन का महीना आया। दो तीन सौ कार्यकर्ताओं ने अभूतपूर्व पोस्टरबाजी की। शहर पट गया था किसी के जिंदा होने ओर जिंदाबाद के चलते। एक दो अरब रुपए का पोस्टर पूरे प्रदेश में टांगे गए। सत्ता में रहो तो तुहर संगवारी ही अकेला काफी होता है अब सत्ता नहीं है। मध्य प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान बताते है कि सत्ता खिसकने के साथ ही फोटो गायब होने लगती है।छत्तीसगढ़ में भी यही हाल है। पोस्टर छोटे छोटे है। जन्मदिन किसी का है लेकिन खडगे जी,सोनिया जी, प्रियंका जी गायब है।केवल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी है। अब जन्म कांग्रेस का थोड़ी है संगवारी का कहना है। आगे चार जन्मदिन और मनाना पड़ेगा।सत्ता में वापस आने के लिए। दिल्ली की खबर है पिछले बार के जय, शोले में मरेंगे नहीं बल्कि सत्ता रूपी बसंती को ले जायेंगे। जन्मदिन है तो मुबारकबाद की तो बनती है क्योंकि जन्मदिन किसी के जिंदा होने का सबूत है

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