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चांवल मिल मालिकों सलाना चक्र व्यूह

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के 1500 राइस मिलर्स ने हर साल की तरह इस साल भी सरकार को चेतावनी दिया है कि अगले सीजन में कस्टम मिलिंग नही करेंगे। इसका कारण भी बताया है कि कस्टम मिलिंग किए जाने के बाद भी मार्कफेड के द्वारा उनका बाकी भुगतान नहीं किया गया है, 120रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से! भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य के राइस मिलर्स को पुरानी भाजपा सरकार की तुलना में 35 रूपये क्विंटल प्रोत्साहन राशि की जगह पर 120 रुपए प्रति क्विंटल देने का निर्णय लिया था।

ये बात अलग है कि पुराने अध्यक्ष दुर्ग वाले रूंगटा और कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने गुप्त समझौता कर 20 रूपये क्विंटल रिश्वत राशि देने की हामी सभी मिलर्स से भरवा भी थी, दे भी रहे थे। मार्कफेड के अध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल ऐसे ही फरार होकर किसी बहुमंजिले इमारत के गार्ड क्वार्टर में ऐसे ही नही रह रहे है ।मार्कफेड के एम डी मनोज सोनीई ईडी के गिरफ्त में ऐसे ही नहीं आते। कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर क्यों जेल जाते और जेल प्रशासन को मोटी धन राशि दे वेलिंगटन होटल में ऐश करते।
भाजपा शासन आने के बाद अब जिन राइस मिलर्स ने 20रूपये क्विंटल की सहयोग राशि नही दी है.

उनकी निकल पड़ी है। कांग्रेसी राइस मिलर्स संघ का सत्यानाश हो चुका है। अनेक पदाधिकारी ईडी के रडार पर है। सत्ता के बदलते ही अनेक संघ के पदाधिकारी बदल दिए जाते है। छत्तीसगढ़ राइस मिल संघ के भी पदाधिकारी बदल गए है। योगेश अग्रवाल , रायपुर लोकसभा के लोकप्रिय सांसद ब्रज मोहन अग्रवाल के भाई है, एक बार फिर अग्रणी हो गए है।उन्होंने प्रदेश के राइस मिलर्स की बैठक में घोषणा कर दी है कि भुगतान करो अन्यथा अगले खरीफ सीजन में कस्टम मिलिंग नही करेंगे।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने भले ही 120 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देकर 20 रूपये लेकर 200 करोड़ का घोटाला कर लिया। भले भी मार्कफेड का एम डी मनोज सोनी धरा गये।

राज्य राइस मिल संघ के कोषाध्यक्ष जेल दाखिल हो गए लेकिन सरकार का धान मार्च में ही उठने लगा था। न शॉर्टेज की चक चक, न धान को भीगने से बचाने की झंझट, न ताल पत्री खरीदने की परेशानी। न केंद्र सरकार को ब्याज देने की मजबूरी।अगर केंद्र सरकार की चांवल लेने वाली एजेंसी एफसीआई थोड़ा सा तत्पर होती तो प्रदेश के मिलर्स जून महीने में ही योरोप टूर पर चले जाते। इतनी सुविधा दे कर भूपेश बघेल की सरकार 800से 1000करोड़ के नुकसान से केंद्र और राज्य सरकार को बचा रही थी। अब इसके बदले में 20रुपए प्रति क्विंटल राशि वसूली जा रही थी तो क्या अन्याय हो रहा था!सरासर ग़लत है।

मिलर अभी भी पुरानी व्यवस्था के समर्थक है। 20रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने के लिए तैयार है। कोई सही व्यक्ति हाथ बढ़ाए तो कस्टम मिलिंग नही करने का तोड़ है। भला व्यापारी, सरकार से पंगा ले, हो नही सकता। अब नया संघ है, नए अध्यक्ष है, नया पैंतरा है बाकी नवंबर आने दीजिए।यही मिलर्स धान उठाते दिखेंगे। आखिर पापी पेट का सवाल है। रही 20रूपये कमीशन की बात तो उन्होंने बनाया है, ये सवारेंगे।एक लोचा जरूर है भाजपा के घर को ढहाए जाने के लिए बाहर के जयचंदियो की जरूरत नही है। मुख्य मंत्री के घर के रवि जैसे कई है।

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