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घोटालेबाजों के करीबी कौन कौन है!

कांग्रेस सरकार चली गई लेकिन इसके कार्यकाल के घोटालेबाजों पर नित नए नए कार्यवाहियां होते जा रही है। जांच एजेंसी ईडी ने राज्य सरकार को घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियो की सूची भेज कर अनुपातहीन संपत्ति की जांच के लिए नाम भेजे थे। इसमें समीर विश्नोई रानू साहू, अमर पति त्रिपाठी और सौम्या चौरसिया सहित आबकारी विभाग सहित कई विभाग के अधिकारियों के नाम है।

दो दिन पहले छत्तीसगढ़ राज्य के एसीबी और ईओडब्ल्यू विभाग ने नामचीन घोटालेबाज अधिकारियों के संभावित ठिकानों में छापामारी की है। ये छापेमारी 200अधिकारी कर्मचारी और पुलिस बल के द्वारा चार राज्यों रखंड,कर्नाटक,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 24ठिकानों पर की गई थी। एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के नेता उठाते हैं कि नगद पैसा मिला नहीं मिला तो घोटाला कैसा? अब ये बात कैसे समझाया जाए कि घोटालेबाज नेता अधिकारी के घर में बहुत कम ही नगद राशि और निवेश के दस्तावेज मिलते है। ये सब रिश्तेदार, परिचित और शुभचिंतकों के अलावा निजी बैंक और लॉकर में रखे जाते है।

आजकल का जमाना खराब है। सामाजिक टूटन के चलते रिश्तेदारों की संख्या में कमी आ गई है। मित्र कम है। परिचितों पर विश्वास नहीं है। इससे ऊपर गलत पैसे कागज रखकर रिश्तेदार, मित्र, परिचित फंसना नहीं चाहते है। ये बात एसीबी और ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के लिए जांच में लाभदायक है। इलेक्ट्रानिक डिवाइस सबसे बढ़िया साक्ष्य है। कितना भी डिलीट मार लो, रिकवरी हो जाती है। कॉल डिटेल्स, व्हाट्स एप चैट, फेस टाइम, और जितने भी बातचीत और डॉक्यूमेंट्स रखने के तरीके है, सब पता चल जाता है। ये साक्ष्य इतने तगड़े होते है कि इनको कोर्ट में प्रमाणित करने के लिए गवाह की भी जरूरत नहीं होती।

ईडी ने सूर्यकांत तिवारी,अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के व्हाट्स एप चैट को साक्ष्य के रूप में कोर्ट में लगाया है। मोबाइल और पायल सहित जमीन खरीदी के भुगतान के अलावा एक अधिकारी से करोड़ो रुपए लेने की भी विवरण है।
अब एसीबी और ईओडब्ल्यू ने समीर विश्नोई रानू साहू और सौम्या चौरसिया के रिश्तेदारों ,परिजनों ,मित्रो सहित शुभचिंतकों को सशरीर कार्यालय आने का लिखित न्यौता दिया है। सभी को बताना पड़ेगा कि 2020जनवरी में कितनी संपत्ति थी, 2018से 2020तक कितना इनकम टैक्स पटाए थे। 2020के बाद ऐसा कौन सा धंधा शुरू किया जिसमे इधर से आलू डाले और दूसरी तरफ से सोना निकला। झारखंड में एक दूर के भाई है।होटल में सब्जी सप्लाई करते थे।

कोराना काल में बंद होटल को लाखो रुपए की सब्जी सप्लाई किए। भाई है,बहन की मदद के लिए थोक आलू व्यापारी से उधार नगद राशि लेकर गरीब बहन सौम्या चौरसिया को जमीन खरीदी के लिए पैसा दिए। एक आईएएस अधिकारी का भाई एकड़ों जमीन खरीद लिया ।अधिकारी गए तो ऊंची कूद और दौड़ प्रतियोगिता में भाग रहा था। एक अधिकारी की पत्नी का भाई पत्नी के साथ दिल्ली से टीटीई से जुगाड कर बिना टिकट लाखों रुपए नगद लेकर सहायता करने आया। धन्य है ,आज राखी का त्यौहार है।सब बहनों को ऐसे भाई मिले।

कानून में ऐसी रिश्तेदारी, मदद अपराध के साक्ष्य को मजबूत करने वाली होती है। घोटालेबाज अधिकारियों के मां बाप, भाई बहन, बुआ फूफा, मामा मामी, चाचा चाची, साले साली,भतीजे, भतीजी, भांचा भांची,सगे,करीबी,दूर के सभी तैयार रहे। पड़ोसी, नौकर, चाकर, नौकरानी, मित्र परिचित, निकट के अधिकारी कर्मचारी, सब संदेह के दायरे में है।अमरेश मिश्र,ये सब जानते है।हम तो केवल बता रहे है। कोई नहीं बचेगा।

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