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कका़, भतीजी की परेशानी का कोई हल है!

किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के विरुद्ध शिकायत मिली तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी – ये बात छत्तीसगढ़ के भूतपूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने कही थी। ये बात तब कही गई थी जब ईडी ने प्रबंध संचालक माइनिंग कार्पोरेशन के समीर विश्नोई को गिरफ्तार किया था। मुख्य मंत्री के बातो से उत्साहित समीर विश्नोई की पत्नी प्रीति विश्नोई ने जांच एजेंसी के अधिकारियो के नाम पर तीन पेज की नामजद शिकायत की प्रति भूपेश बघेल को उनके निवास पर जा कर दी थी। इस शिकायत में जेल में सड़ा देने और केरियर बर्बाद करने की धमकी का उल्लेख था।

समीर विश्नोई को जेल में रहते बीस महीने होने जा रहे है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अब भूतपूर्व मुख्यमंत्री हो गए है। बीस महीने पहले की गई शिकायत पर न उनके कार्यकाल में न तो भूपेश बघेल हिम्मत दिखा पाए और न ही उनकी स्थानीय पुलिस से हिम्मत करवा पाए। पाठको को याद होगा कि इसी राज्य में जब केंद्रीय जांच एजेंसी ने पहला धमाका किया था तब छिछोरी हरकत करते हुए परिवहन विभाग जिसके सर्वेसर्वा दीपांशु काबरा थे, उस विभाग नेजांच एजेंसियों की कार को जप्त कर गॉस मेमोरियल में खड़ा कर दिया था।ये बात अलग है कि थोड़े समय बाद दीपांशु काबरा के घर में भी जांच एजेंसी घुस गई थी।

चार किलो सोना, 20 कैरेट हीरा और 47 लाख रुपए नगद मिले थे समीर विश्नोई के घर से(कितना हटा दिए थे पता नही)। ईडी ने जब इस मामले में जांच को बढ़ाया तो समीर विश्नोई की पत्नी प्रीति विश्नोई की भूमिका संदिग्ध थी। 47लाख नगद राशि मिलने के संबंध में उनका बयान ये था कि मां ने बीकानेर के पास के एक गांव से कपड़े के झोले में लाखो रूपये लेकर बिना रिजर्वेशन के बीकानेर से रायपुर आई थी। इसी प्रकार लाखो रुपए लेकर भाई भाभी दिल्ली से रायपुर ट्रेन में टीटी से जुगाड कर बिना टिकट रायपुर आए थे।
बात आती है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने एक पीड़ित महिला के लिखित शिकायत पर कोई कार्यवाही क्यों नही किया या क्यों नही करवाया?

इसका अगला संस्करण भी देख लीजिए थोड़े दिनों बाद जांच एजेंसी ने मुख्य मंत्री कार्यालय के उप सचिव सौम्या चौरसिया को उठा लिया। ये बात ज्यादा गंभीर थी ।इस बार सौम्या चौरसिया के पति या किसी रिश्तेदार ने लिखित शिकायत नहीं किया कि जेल में सड़ा देने या कैरियर बर्बाद करने की धमकी दिया गया है। दोनो अधिकारी दो साल के आसपास से जेल में बंद है। सहानभूति के दो शब्द नही है। घर जाकर सांत्वना देने की बात ही नहीं है।

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