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कांग्रेस को एक कांग्रेसी ने हराया है!

कांग्रेस में बड़ा बवाल मचा हुआ है। हिमांचल प्रदेश और कर्नाटक जीतने के बाद गुब्बारे की हवा निकल गई है। भारत जोड़ो यात्रा से जो इमेज बनी थी उसे मोदी की गारंटी ने फीका कर दिया है। कांग्रेस में मंथन का दौर शुरू हो गया है।सर फुट्टवल की स्थिति बन गई है। छत्तीसगढ़ में हार का भले ही कारण खोजने के लिए राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर बैठके हो रही है लेकिन सच को स्वीकारने में अभी भी कोई गंभीरता नही दिख रही है। इसका नतीजा लोकसभा चुनाव में क्या होने वाला है अभी से दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बेंज की अध्यक्षता में हुई बैठक में क्या हुआ?कार्यकर्ता सहित संगठन के पदाधिकारी खुल कर क्या बोले? उनको बोलना ये था कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में समांतशाही के कारण हारी।एक नेता ,बाकी नेता को घर बैठा कर भेंट मुलाकात कर ये बताना चाह रहा था मैं हूं ना। घर बैठे 22 विधायको की टिकट काट दी गई। मंत्रियों की टिकट क्यों नहीं कटी? कांग्रेस वाले ही बता रहे है कि अरबपति बन रहे थे,बना रहे थे।परिणाम सामने है। पिछले विधान सभा चुनाव में सबसे अधिक वोट से जीतने वाला मंत्री 42 हजार वोट से हार गया। 12 में से 9 मंत्री हारे तो केवल इसलिए क्योंकि नाम मात्र के मंत्री थे। उनका मंत्रालय महानदी भवन से न चल कर सिविल लाइंस से चल रहा था। ये सच बोलने वाले कांग्रेसी या तो निष्कासित किए जा रहे है या नोटिस थमाई जा रही है।

एक नेता के जिंदा रहने के चक्कर मे सरगुजा कांग्रेस विहीन हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष चुनाव हार गए।मतलब साफ है कि अधिनायकवाद चरम पर था। रही सही कसर सलाहकारों ने निकाल दी। झूठ पर झूठ परोसा गया और भरोसे की सरकार का जुमला देकर चुनाव जीतने निकले थे।

एक आदमी की गारंटी ने सारे भरोसे को तहस नहस कर दिया। किसानों को 3200रुपए क्विंटल धान का मूल्य देने,कर्जा माफी सहित महिलाओ को 15 हजार देने का भरोसा खोखला क्यों साबित हुआ?

एक तरफ किसान को 2500 रूपये धान का भुगतान किए और उसी किसान को गोबर खाद के नाम पर 10 रुपए किलो मिट्टी बेचे ,ऐसी बेईमानी छत्तीसगढ़ के किसान बर्दास्त नही कर सकते थे। आदिवासियों के बल पर सरगुजा और बस्तर में बदत्तर स्थिति क्यों हुई?धर्मांतरण का मुद्दा गंभीर था, रोहिंग्या मुसलमानो की बसाहट पर राज्य के मुखिया की चुप्पी संदेहास्पद थी।

युवा बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता की कम लोगो के भुगतान सहित पीएससी में खुला खेल फरक्काबादी नतीजों ने कांग्रेस को बंटाधार कर दिया. शराब, कोयला, चांवल, घोटालों ने बुनियाद कमजोर कर दी। सुपर सीएम महिला ने प्रशासन को जिस तरह से आतंक का अड्डा बनाया। उसका परिणाम सामने है। कांग्रेस नहीं हारी है बल्कि उसे एक सिंडिकेट ने हराया है।

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