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सरकारी कर्मचारी सावधान रहे!

हर सरकार में प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी केकुछ अधिकारी कर्मचारी ऐसे होते है जिनके शगल में दलाली कूट कूट कर भरी होती है। ऐसे लोग मंत्री और अधिकारियो के उनके गृह निवास से लेकर सरकारी बंगले और ऑफिस में हमेशा उपलब्ध होते है। सरकारी कामकाज से दूर वेतन बटोरते जनप्रतिनिधियों के सहित उनके रिश्तेदारों के लिए हर संभव सुविधा जुटाने वाले चरित्र के होते है। इन्हे मुगलता होता है कि बड़े जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो की कृपा से सबसे पहले खुद के ट्रांसफर से बचेंगे और घूस की रकम बढ़ कर मिलेगी। ऐसे लोग बड़े जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियो की आदत बिगाड़ने में सारी बुरी आदतों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराते है।

जनप्रतिनिधि और बड़े अधिकारी इनके चंगुल में ऐसे आते है कि उनके लिए ऐसे सरकारी कर्मचारी टूल बन जाते है। विभाग में लाइसेंस,टेंडर, खरीदी, सहित नीति निर्धारण में व्यापारियों के हित के एवज में कमीशन लेना और बाटना इनके जीवन का ध्येय होता है। ये लोग थोड़े समय के लाभ के लिए ऐसा खतरा उठाते है जिसका खामियाजा उनको और उनके परिवार को भुगतना पड़ता है। ये लोग ये बात भी नहीं समझते कि मुसीबत आने पर जनप्रतिनिधि और बड़े अधिकारी मुंह फेर लेते है। हाल ही में ईडी ने शराब और कोयला घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो रायपुर में दो एफ आई आर दर्ज कराई है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ने सात मिनट का चैनल में पक्ष रखा। उन्होंने पूरी बात उनके पार्टी के उन नेताओं को जबरदस्ती फंसाने वाली कही जिनका नाम एफ आई आर में है। ऐसे लोगो का साथ देने और अकेला न छोड़ने का भी वादा किया।

एक बार भी आई ए एस रानू साहू,समीर विश्नोई, आईआरएस अमर पति त्रिपाठी,उनकी भूतपूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित दर्जन भर आबकारी और खनिज अधिकारियो के पक्ष में एक शब्द भी नहीं कहा जो एक साल से अधिक समय में पहले सेंट्रल जेल में सुविधा भोग रहे थे और पिछले दो महीनों से असुविधा झेल रहे है। ये लोग बहुत जल्दी बहुत अधिक धन पाने की लालच में लाए गए थे। इसी चक्कर में बुरे फंसे है। इन लोगो के लिए दोहरी मुसीबत खड़ी हो गई है। एक तरफ ईडी ने विशेष कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल कर ही रखा है। एसीबी में भी एफ आई आर दर्ज करा दिया है। दो अलग अलग अदालतों में केस लड़ना मानसिक त्रासदी होती है। सामाजिक उलाहना और ताने मुफ्त में मिलते है।

सबसे कठिन समय इनके लिए ये भी है कि जिनके लिए इन्होंने अपनी सरकारी सेवा को दांव पर लगाकर व्हाट्सएप किए, कॉल किए, अपने पद का दुरुपयोग किया, पैसे वसूलने के लिए कंप्यूटर में छेड़छाड़ की, डायरी लिखी, अचल सम्पत्ति खरीदी वे लोग सहनुभूति के दो शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। वे सरकारी अधिकारी जो अभी भी लालच कर जन प्रतिनिधियों को बरगलाने और उन्हे रिश्वत सहित अन्य सुविधाएं परोसने के लिए बंगले के चक्कर लगा रहे है वे समझ जाए कि उनके मुसीबत में कोई खड़ा नहीं होने वाला है। ये जरूर है कि सत्ता के निगहबानी में आ जाने से दूर दराज फिकने का काम हो जायेगा। ऊपर भस्म रगड़ कर बैठा व्यक्ति न खाऊंगा न खाने दूंगा कह कर बार बार सचेत कर रहा है।

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