रायपुर। समता कालोनी जमीन के खेल में और भी कई चौकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। वहां पर शांति देवी महोबिया के नाम से स्थित जमीन खसरा नंबर 510/2 रकबा 0.027 हेक्टेयर जमीन में निर्मित हिस्से का 2910 वर्ग फूट जमीन उनकी सहमति से बेचा जा चुका है। बिक्री नामा में उनके भजीजों के नाम का उल्लेख है। सहमति दाता ने जिन लोगों के नाम का उल्लेख किया है उनके रिश्तेदार हैं। इनमें ममता पंसारी, सोना पंसारी, एकता पंसारी, अनिश पंसारी, दीपक पंसारी के नाम का उल्लेख किया गया है। यह जमीन प्रणव सिंह को बेची गई है।
यहां बता दे कि यहां पर जिसे जमीन के खसरे का पुर्ननिर्धारिण कर 908/2 पर कब्जा किया गया वह निजी भू-स्वामी की जमीन है। उसकी 20 हजार वर्ग फूट जमीन का खसरा नहीं मिलने के कारण सीमांकन कराने पर उक्त भूमि रोड़ के उपर निकली। सीमांकन के बाद इस जमीन को कब्जा दूसरे के द्वारा किए जाने पर पूरा मामला सामने आया। मामले में समाता कॉलोनी के भूमि अभियांस में इसे कहीं नहीं दर्शाया गया है। पूरा मामला पटवारी और राज्स्व अधिकारियों के द्वारा कूट रचना कर खसरा कहीं और बिठाने का मामला है। यहां सवाल यह उठता है कि जब पूर्व में 510/2 खसरा की 2910 वर्ग फूट जमीन 2022 में ही बिक चुकी है, तो 2023 में उसका पुर्ननिर्धारण ग्राम एवं नगर निवेश विभाग ने कैसे कर दिया। मामले में व्यावसायिक नक्शा निगम के द्वारा पास किए जाने से सामने आया।
पुर्ननिधार्रण निरस्त करने का नियम
विवाद पर पुर्ननिधार्रण निरस्त करने का नियम शासन ने बनाया है।समता कालोनी में खसरा नंबर 908/2 के पुर्ननिर्धारण के आदेश में नगर तथा ग्राम नगर निवेश विभाग ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि भूमि स्वामित्व संबंधी विवाद होने पर अथवा नियमों के उल्लंघन पर पुर्ननिर्धारण आदेश स्वमेव निरस्त माना जावेगा। मामले में शांता महोबिया पंसारी के उक्त पुर्ननिर्धारण प्रकरण में विवाद की स्थिति यह है कि सीमांकन में उक्त भूमि किसी और के नाम पर निकला है। ऐसे में नगर एवं ग्राम निवेश के आदेश के अनुसार इसे निरस्त माना जाना चाहिए।



बैमाने में स्पष्ट उल्लेख
समता सोसायटी के द्वारा चिरहुलडीह की इस जमीन के बैनामें में 29 अगस्त 1984 के बैमाने में साफ लिखा गया है कि खसरा 905 और 906 की भूमि जिसे भूखंड क्रमांक सी-9 बताया गया है उसे बेचा गया है। ऐसे में क्रेता द्वारा 2023 में खसरा के पुर्ननिर्धारण का आवेदन लगाकर निजी भूमि सवामी के 20 हजार वर्गफूट जमीन जिसका खसरा 908/2 है उसमें बिठा देना एक तरह से षणयंत्र का हिस्सा है। पूरे मामले के खुलासे के बाद अब समता सोसायटी और दूसरे जमीन पर कब्जा करने वाले बेनकाब हो चुके हैं। प्रशासन का चाहिए कि पूरी स्थिति स्पष्ट होने के बाद निर्माणाधीन व्यावसायिक कॉम्पलेक्स को सील कर मूल भू-स्वामी को उनकी जमीन लौटाया जाए।
निगम का नक्शा पास करने का आदेश निष्प्रभावी
निगम ने जो नक्शा पास किया था वह भी पूरी तरह से निष्प्रभावी माना जाएगा। निगम ने इसके चलते शांता महोबिया को तीन नोटिस तामिल किया लेकिन अब तक संतोष जनक जवाब नहीं मिला। निगम के द्वारा दी गई नोटिस के आधार पर यह माना जाना चाहिए कि प्रक्रियागत त्रुटि के चलते यह प्रकरण धोखे में रखकर पारित किया गया है।



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