मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का निधन हो गया है। वह मां नर्मदा, भगवान राम और हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। बुधवार (11 दिसंबर 2024) सुबह 6 बजे 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से वह बीमार थे। आश्रम में ही इलाज चल रहा था। खरगोन SP धर्मराज मीना ने उनके निधन की पुष्टि की है।
संत सियाराम बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ। उन्होंने 17 साल की उम्र में आध्यात्म का मार्ग अपना लिया था। कुछ साल गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया। 1962 में भट्याण आ गए। बुधवार को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के शुभ संयोग में परमात्मा में विलीन हो गए।
संत सियाराम बाबा की ऐसी थी दिनचर्या
संत सियाराम की दिनचर्या भगवान राम और मां नर्मदा की उपासना से शुरू होती थी और इसी के साथ समाप्त होती थी। वह प्रतिदिन रामायण पाठ करते और आश्रम में आए श्रद्धालुओं को प्रसादी स्वरूप खुद चाय बनाकर पिलाते थे।
संत सियाराम बाबा के लिए पांच छह श्रद्धालु अपने घर से टिफिन भिजवाते थे। जिससे थोड़ा थोड़ा हिस्सा निकालकर वह प्रसाद स्वरूप लेते थे। शेष भोजन पशु-पक्षियों को खिला देते थे।
10 साल की कड़ी साधना
संत सियाराम बाबा का असली नाम किसी को नहीं पता। नर्मदा किनारे उन्होंने 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की है। अपने तप और त्याग की बदौलत उन्होंने लोगों के हृदय में जगह बनाई।
शिष्यों से महज 10 रुपए भेंट
संत सियाराम बाबा 7 दशक से लगातार रोजाना मानस पाठ कर रहे थे। आश्रम में 24 घंटे श्रीराम धुन चलती है। शिष्यों से 10 रुपए से ज्यादा भेंट नहीं लेते थे।
मंदिर के लिए दान किए 25 लाख
संत सियाराम बाबा ने नागलवाड़ी धाम, खारघर और जामगेट स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में 25 लाख से ज्यादा की राशि दान की है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भी उन्होंने 2 लाख रुपए भेंट किए थे। क्षेत्र में यात्री प्रतीक्षालय भी बनवाया है।