कल प्रदेश की ईओडब्ल्यू और एसीबी विभाग के द्वारा पूर्व शासन के तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों के यहां छापेमारी की गई।इनमे से दो प्रमोटी अधिकारी अनिल टुटेजा और निरंजन दास है जिनके क्रिया कलाप इतने संदिग्ध रहे कि उनकी जांच दो केंद्रीय जांच एजेंसियों इनकम टैक्स और ईडी के द्वारा किए जाने के बाद भी सीबीआई से भी होना चाहिए। एक आईएएस अधिकारी विवेक ढांड का नाम आना आश्चर्यजनक रहा। क्योंकि विवेक ढांड,अनिल टुटेजा और निरंजन दास के समान टुच्चे नही थे। 1981बैच के आइएएस अधिकारी के रूप में उनका चयन तात्कालिक मध्य प्रदेश के जमाने में रायपुर से हुआ था। सरगुजा, उज्जैन,जबलपुर,और दुर्ग जिले में कलेक्टर रहे थे। सरगुजा जिले में “आप भी बाबा मैं भी बाबा” के रूप में टी एस बाबा से विवाद आज भी चर्चित है। छत्तीसगढ़ नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तो जोगी से लेकर डा रमन सिंह के कार्यकाल में विवेक ढांड ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग सम्हालते रहे। 2008के विधान सभा चुनाव के पहले जोगी के तरफ पलटने की कथित चर्चा के कारण विवेक ढांड विवादास्पद हुए थे। बस्तर की किसी खदान में मंडोली का मामला था।डा रमन सिंह दोबारा आए तो अपने नजदीकियों से ढांड हटा दिए थे। अपनी जोड़ तोड़ की कुशलता के चलते डा रमन सिंह का विश्वास जीत कर 2014में मुख्य सचिव बन गए।
कांग्रेस के शासन काल में भूपेश बघेल ने उनको अपना कालेज जमाने का गुरु बता कर ऐसे घेरे में लिया कि आज कांग्रेस शासन में नहीं है लेकिन विवेक ढांड को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा क्यों हुआ इसके पीछे की कहानी जानना जरूरी है। भूपेश बघेल की सरकार के सत्ता में आने के साथ ही 15साल के अकाल को 5साल में पूरा करने का लक्ष्य साध लिया था। लूट के लिए एक से एक आयाम बनाए गए।सलाहकार बन गए थे विवेक ढांड। अनिल टुटेजा की एंट्री करा कर सारी योजनाएं बनाई गई। शराब घोटाले की तैयारी में गुरु महत्वपूर्ण रहे। मुख्य सचिव का पद छोड़ने के बाद रेरा हाथ लग गया। प्रदेश के भीतर बाहर के बिल्डर सौदे के बढ़िया साधन बन गए। दूसरी तरफ अपने चेले अनिल टुटेजा को पुराने मुख्य मंत्री के यहां सेट कर विवेक ढांड द्रोणाचार्य की भूमिका में स्थापित हो गए।
बताया जाता है कि एक पत्रकार जिसने कभी भी किसी का नाम लिए बगैर सत्ता के सच को सामने लाने का कार्य किया था उससे पुराने मुख्य मंत्री के कार्यालय के सुपर सीएम के पंगे के चलते सत्ता के दो साल के भीतर ही आयकर विभाग ने रेड मार दी थी। इस रेड में अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया गुरुचरण सिंह सहित विवेक ढांड के यहां जांच हुई थी। इससे बेफिक्र होकर पुराने मुख्य मंत्री के कार्यालय के सिंडिकेट ने शराब,कोयला,राशन , डी एम एफ , रेत में अरबों रुपए का घोटाला किया। ईडी के जांच में सारी बातें सामने आई। ईडी ने पुरानी सरकार को सूचित भी किया लेकिन मद के चलते कोई कार्यवाही नही हुई।
रेरा में सुख भोगने के बाद विवेक ढांड नवाचार आयोग में जम गए।ये गुरु दक्षिणा थी पुराने मुख्यमंत्री की तरफ से। इससे पहले की नवाचार निभता सरकार बदल गई। इधर ईडी ने सरकार की जांच एजेंसी में सरकारी अधिकारियो सहित कारोबारियों द्वारा शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने की लिखित सूचना दे दी। ये तो तय हो गया था कि नई सरकार जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कथनी में देर नहीं लगाने वाली थी ।विवेक ढांड की भूमिका को लेकर पड़ी रेड ये तय कर रही है। अब बड़ा प्रश्न ये कि क्या प्रदेश का भूतपूर्व मुख्य सचिव गिरफ्तार होगा?सचमुच जब विवेक लड़खड़ाता है आत्मा मर जाती है।