MP News: दिवाली पर धड़ल्ले से बिकी कार्बाइड गन, बच्‍चों की आंखों में जलन के बाद ग्‍वालियर में लगा बैन

MP News: दिवाली पर पूरे देश में कार्बाइड गन का एक नया और खतरनाक ट्रेंड बन चुका है. इस कार्बाइड गन ने कितने ही मासूमों की आंखों की रोशनी छीन ली है वहीं, कुछ बच्‍चों की आंखों में इससे जलन होने लगी. कार्बाइड गन को लाेग देसी पटाखा और जुगाड़ वाला बम जैसे नाम दे रहे हैं. लेकिन ये खिलौना बच्‍चों के लिए खतरनाक साबित होता दिखाई दे रहा है. इसने मध्‍य प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्‍यों में बच्‍चों की आंखों को नुकासान पहुंचाया है.

वहीं, मध्‍य प्रदेश के ग्वालियर जिले में कार्बाइड गन पर बैन लगा दिया है. जिला कलेक्‍टर रूचिका सिंह चौहान ने आदेश जारी किया है. इस आदेश में धारा 163 के तहत कार्बाइड गन के निर्माण, क्रय-विक्रय और उपयोग को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है.

मध्‍य प्रदेश में सामने आए कार्बाइड गन के मामले
मध्य प्रदेश में देसी कार्बाइड गन के इस्तेमाल से बच्चों की आंखों में गंभीर चोट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, सिर्फ तीन दिनों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में 122 से ज्यादा बच्चे आंखों में चोट लगने के बाद अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं. विदिशा जिले में तो खुलेआम बिक रही इन जुगाड़ गनों ने 14 मासूमों की आंखों की रोशनी तक छीन ली है.

भोपाल में 26 से अधिक मामले
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में ही ऐसे 26 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. अस्पताल में भर्ती 17 वर्षीय नेहा ने बताया कि जुगाड़ से बनी कार्बाइड गन फटने के कारण उनकी एक आंख पूरी तरह झुलस गई. वहीं, एक अन्य पीड़ित राज विश्वकर्मा ने कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर देसी पटाखा गन बनाया था, तभी अचानक धमाका हो गया और मेरी आंख चली गई.

यह खतरनाक चलन केवल मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है. उत्तर प्रदेश के जालौन में भी कैल्शियम कार्बाइड गन से एक नाबालिग गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि बिहार के पटना में ऐसी गनों के बढ़ते चलन से 50 से अधिक लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है.

कैसे बनाई जाती है कार्बाइड गन
विशेषज्ञों के अनुसार, कार्बाइड गन बच्चे घर पर माचिस की तीलियों और बारूद को मिलाकर प्लास्टिक या टीन के ट्यूब में भरकर तैयार करते हैं. धमाके के वक्त निकलने वाले धातु के कण और छर्रे सीधा आंखों पर लगते हैं, जिससे कई बार पुतली फटने जैसी स्थिति बन जाती है और तुरंत सर्जरी करनी पड़ती है. डॉक्टरों और अधिकारियों का कहना है कि इस खतरनाक ट्रेंड के पीछे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पटाखा गन चैलेंज जैसे वीडियो जिम्मेदार हैं. बच्चे इन वीडियो से प्रेरित होकर घरों में ही ऐसे प्रयोग कर रहे हैं और अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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