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क्या सौम्या और रानू के बीच खटास है!

कल रायपुर के अदालत में राज्य की जांच एजेंसी ई ओ डब्ल्यू ने कोयला घोटाले के दो आरोपी महिलाओ को तीन दिन के लिए रिमांड पर लिया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रानू साहू, तत्कालीन कलेक्टर कोरबा और राज्य सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया तत्कालीन उप सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय दोनो को जीप में बैठाकर महिला जेल से अदालत परिसर में लाया गया।न्यायालय ने तीन दिन के रिमांड पर दोनो महिलाओ को सौप दिया है।

कांग्रेस शासन काल में कौन व्यक्ति किस विभाग में सचिव, संचालक रहेगा, कौन आई ए एस किसी जिले में कलेक्टर रहेगा, ये सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा तय करते थे। रानू साहू को कोरबा के तत्कालीन विधायक और मंत्री जय सिंह जायसवाल के विरोध के बावजूद तत्कालीन मुख्य मंत्री के दोनो सहयोगियों ने रानू साहू का नाम बढ़ाया था। रानू साहू ने ही सूर्यकांत तिवारी के नेक्सस को अंजाम दिया और जम कर लूट मचा दी थी।

जय सिंह अग्रवाल ने कई बार सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि रानू साहू बेलगाम हो गई है। जिसके सर मुख्य मंत्री कार्यालय का वृहद हस्त रहा हो वो किसी की क्यों सुनती। बताते है कि कोयला मामले में सारी गोपनीय सूचनाएं भी कोरबा से चल कर दिल्ली जांच एजेंसी तक पहुंची थी। बहरहाल दोनो महिलाएं आगे पीछे ईडी के हत्थे चढ़ गई। सौम्या चौरसिया पिछले सत्रह और रानू साहू लगभग बारह महीने से सेंट्रल महिला जेल में बंदी है।
जब तक भूपेश सरकार रही।

दोनो महिलाएं जेल के भीतर अच्छे से रह रही थी लेकिन सरकार बदलते ही सारा खेल बदल गया। रानू साहू में यह भावना बलवती हो गई कि सौम्या चौरसिया जैसे बीस अधिकारी उनके अधीनस्थ रहते है और आज जिस कारण से जेल में बंद है उसका कारण भी यही महिला है बस खटास बढ़ने लगी। खबर तो ये भी आई कि जेल के भीतर दोनो महिलाओ में गुत्थम गुत्था भी हुआ है और इस कारण दोनो को अलग अलग सेल में रखा गया है।

आज अदालत में दोनो महिलाओ के बीच दूरी देखने को मिली।रानू साहू अलग से खड़ी थी।सौम्या चौरसिया अपने वकील से गुफ्त गू करते दिखी।रानू साहू का कोई वकील नहीं दिखा। हालात बदलते है तो व्यक्ति भी बदलते है।रानू और सौम्या एक दूसरे के लिए बदल गए है, इसका असर कोयला घोटाले में पड़ेगा।क्या रानू साहू सरकारी गवाह बनने जा रही है!

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