रायपुर: प्रदेश में जमीन से जुड़े लोगों ने सबसे ज्यादा प्रगति की है। राजधानी रायपुर इस मामले में सबसे ज्यादा लोग शामिल है। यहां पर हाउसिंग सोसायटी के नाम पर कई सोसायटी अपनी बरबादी की कहानी कह रहे हैं। यहां पर प्लाट कटने के बाद पता चला कि उसी प्लाट को पहले भी किसी को बेचा जा चुका है। दरअसल हाउंसिंग सोसायटियों के पीछे बड़े अफसरों का हाथ होना पाया गया। समता सोसायटी में शांति देवी महोबिया के मामले में पूरे खेल में तहसीलदार ने किया।



रायपुर तहसील में रही तहसीलदार ज्योति सिंह के हस्ताक्षर से जारी खसरा बदलने का आदेश पटवारी और राजस्व निरीक्षक की मिली भगत की कहानी कह रहा है। ज्योति सिंह ने रायपुर में ही अपनी सेवाएं दी है। यहां से बाहर जाने का जब भी आदेश हुआ तो किसी न किसी के जुगाड़ से रूकवा लिया गया।



वे कांग्रेस और भाजपा शासन काल में भी यहां रही। 2021 से 2023 तक यहां पर रही। उसी समय जमीन का अदला-बदली हो गया। मामले में कहीं न कहीं शांति महोबिया की बहु और समता सोसायटी के वकील का हाथ रहा। अब पूरे मामले में अफसर बहु के दबाव में निगम प्रशासन है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जब सीमांकन का आदेश दिया तब यहां पर जमीन के खसरे में गड़बड़ी की आशंका नहीं थी। पटवारी रिकार्ड देखा गया तो बड़ा बवंडर ज्याति ने अंधेरे में रखकर किया।




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