दिवाली का त्योहार करीब है। लोग अपने घरों की सफाई में जुटे हैं, लेकिन राजधानी रायपुर की गलियों और सड़कों की सफाई व्यवस्था ठप्प पड़ गई है। वजह है डोर टू डोर कचरा इकठ्ठा करने वाले सफाई कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर बैठ गए हैं।
हड़ताल करने वाले कर्मचारी 16 अक्टूबर को कंपनी के दो डिपो में ताला जड़कर सीधे दलदल सिवनी डंपिंग यार्ड पहुंच गए। इनमें करीब 800 से 1 हजार कर्मचारी शामिल है। उनका कहना है कि उन्हें कई महीने से वेतन नहीं मिला है, ऊपर से कंपनी के सुपरवाइजर लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
कर्मचारियों का आरोप है कि इससे पहले भी उन्होंने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की थी, उस समय कंपनी प्रबंधन ने वेतन और काम के माहौल सुधारने का आश्वासन दिया था। लेकिन हड़ताल खत्म होने के बाद भी किसी भी मांग पर अमल नहीं हुआ। अब कर्मचारी कहते हैं कि जब तक उन्हें बकाया वेतन नहीं मिलेगा और शोषण जैसी स्थिति पर रोक नहीं लगेगी, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
गंदगी की मार झेल रहे लोग
इस हड़ताल का सीधा असर शहर की सफाई व्यवस्था पर पड़ा है। कई इलाकों में कचरा नहीं उठाया गया, जिससे गलियों में दुर्गंध फैल रही है। नालियों के पास कचरे का अंबार दिख रहा है। दीवाली से पहले जब लोग साफ-सफाई को लेकर सतर्क होते हैं, ऐसे में शहर का गंदा होना बड़ी परेशानी बन गया है।
कंपनी की चुप्पी, निगम की नजर
शहर की सफाई का जिम्मा रामकी ग्रुप के पास है, कंपनी के अधिकारी सफाईकर्मियों से बातचीत करके मामले को सुलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन हड़ताल कब तक चलेगी, इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
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