मंत्री कर रहे खेल साय साय को करेंगे फेल

प्रदेश में भाजपा सरकार को लगभग दो साल पूरे हो गए हैं। सरकार के कामकाज और योजनाओं की समीक्षा केंद्रीय नेतृत्व लगातार कर रहा है। गुजरात में एंटीइनकंबेंसी को ढकने यह काम किया गया। अगर छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मंत्रियों में होड़ लगी है कि कौन कितना भारी है।

वैसे भाजपा सरकार में एक बात सामने आई है कि हर मंत्री के पास सरगुजा संभाग का ही ओएसडी बैठा है। ऐसा क्यों इसके पीछे संगठन है या मंत्री की कारगुजारियों की जासूसी की मंशा है। ये सारे ओएसडी उन मंत्रियों का पूरा काम संभाल रहे हैं। किसे देना और किससे लेना है सबका हिसाब उनके ही पास है। बनिया ओएसडी हर मंत्री के पास बैठे हैं।

दो उपमुख्यमंत्री मोनोपली चला रहे हैं। एक के पास निर्माण विभागों का जिम्मा है। जल जीवन मिशन से पानी पिलाने के नाम पर बाहरी ठेकेदारों को एडवांस दे रहे, लोकल ठेकेदारों को पेमेंट के नाम पर रूला रहे हैं। गड्डों से पटी सड़कों के मरम्मत की सुध नहीं ले रहे। अफसरों के भरोसे बैठे ये साहब निकायों में कर्मियों के तबादले हर तीन माह में कर रहे हैं।

कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का भाजपा ने भुनाया। अब यहां पर भी यही परिपाटी यहां पर भी शुरू हो गई। स्वास्थ्य की बात करें तो यहां पर भी कमीशन का खेल शुरू हो गया है। खरीदी के मामले में भले ही चार कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है, लेकिन नई कंपनियों को सेटिंग करने के बाद यह काम किया गया है। उनके ओएसडी वसूली में लगे रहे शिकायत के बाद हटा जरूर दिए गए पर अब भी वहीं पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं।

इधर बस्तर के लाडले मंत्री की बात ही कुछ और है. जीवनदायिनी प्रकृति के साथ भला नहीं कर पा रहे हैं। उसके अफसर कंट्रोल में नहीं हैं। यहां पर किसी भी नई योजना पर काम नहीं हुआ। अपनी तुनक मिजाजी के लिए पहचाने जाने वाले पर आधे से कर्मचारी ने आरोप लगाया। सिचाई विभाग के आठ साल से निलंबित कर्मी को नियम विरूद्ध बहाली कराई।

वाह टंक.. आराम
प्रदेश के मंत्रियों ने अपनी स्वेच्छा अनुदान को खैरात बांटने का जरिया बना लिया है। जरूरतमंद लोगों को कष्ट के समय दिया जाने वाली यह राशि धन्ना सेठ और सक्षम लोगों को देकर खुला उल्लंघन कर रहे हैं। दरअसल, उन्होंने अपने स्वच्छा अनुदान से सुहेला निवा युगल किशोर वर्मा को 1 लाख 55 हजार रुपए का नजराना पेश किया है।

उल्लेखनीय है कि सुहेला निवासी यह शख्स वहां का सबसे बड़ा एवं अव्वल दर्जे का व्यापारी है। उसके पिता के नाम पर पेट्रोल पंप संचालित है। मंत्री को यही एक जरूरत मंद दिखता है तो उनके क्षेत्र के गरीब जनता का क्या होगा जिन्होंने गुरूजी को अपना वोट देकर विधानसभा भेजा है। अब यह तो वो ही बताएंगे कि उनकी नजर में 4 लाख 49 हजार का स्वेच्छानुदान एक व्यक्ति को दिया गया है। लगता है कि टंकराम यहां पर अपने रिश्तेदारों में यह राशि वितरित करने में लगे हैं। आत जनता और जरूरत मंद लोग से उनका कोई वास्ता नहीं है।

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे…सिद्धार्थ
छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग का बंठाधार करने वाले परदेसी से यहां के शिक्षक पूछ रहे हैं कि खाली पड़े स्कूलों में शिक्षकों को भेजने के नाम पर ऐसा खेल खेला गया है कि नियमों को पूरी तरह धता बताते हुए प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। यहां पर हिन्दी का ज्ञान रखने वाले शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाने भेजा गया है। ऐसे में पढाई की क्या गुणवता रह जाएगी यह तो सचिव सिद्धार्थ कोमल ही बता सकते हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए जिला और संभाग स्तर की कमेटी में ऐसे लोगों को बिठाया गया जो केवल परदेसी का फरमान ही मानते हैं। वो खुद से निर्णय नहीं ले पाते ऐसे अंधे बहरे और गुंगे लोगों ने कोई निराकरण नहीं किया।

विष्णु के सुशासन में ऐसे नख विहिन अधिकारी रहेंगे, तो भावनाओं से खेलना भी आसान हो जाएगा। नए शिक्षा मंत्री अभी विभाग को समझ ही रहे हैं। अफसर अपनी ही पीठ थपथपा का राग दरबारी बने हुए है। बच्चों की पढ़ाई का बंठाधार करने में कोई कोर कसर उन्होंने नहीं छोड़ी है। अब देखना है कि शिक्षा विभाग में कब तक रहते हैं। वैसे लोगों ने ठीक ही कहा है कि तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे…। सुबह वाली गाड़ी से घर को चले जाओगे।

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