ये प्रश्न साय साय को रवि मिश्रा और अपने आसपास के सलाहकारों से पूछना चाहिए और इस गलती को सुधारना चाहिए. कांग्रेस शासनकाल में “बिजली का बिल हाफ” महती योजना थी। इससे आम जनता बहुत खुश थी लेकिन स्टील लॉबी को खुश रखने के एवज में अंडरडील ने साय साय की सरकार के प्रति आम जनता में नफरत की भावना ला दिया है। भाजपा को सत्ता के उजाले में आम मतदाताओं ने लाया है।स्टील लॉबी पैसे दे सकती है लेकिन वोट नहीं दिला सकती है। अंधेरे में जो बैठने वाले हैं वे इस सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे ये अंडर करंट है।
अंधेरे में जो बैठाने वाले है जरा रोशनी उनको कम पैसे में दे दो. भारतीय जनता पार्टी की छत्तीसगढ़ में किस्मत अच्छी थी जो घोटाला करने वाली कांग्रेस सरकार से चुनाव में पाला पड़ा था। यदि कांग्रेस के मुख्य मंत्री भाजपा के वर्तमान सरकार की तरह अपने इर्द गिर्द भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और निज सचिव रख कर बेइमानी करते तो आज भाजपा में विपक्ष में बैठी दिखती।



सत्ता में आने के बाद पूर्व सरकार के अच्छे कामों को चलाने की जिम्मेदारी वर्तमान सरकार की होती है। निभा भी रहे थे।अचानक ही स्टील लॉबी ने पैसे की क्या गर्मी दिखाई साय साय के आसपास के मंडली ने दो साल पूरे होने के पहले जनता की नजर में सरकार को गिरा दिया। दो महीने में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों के बिजली उपभोक्ता खुल कर सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर रहे है।
कुटीर उद्योग के रूप में आटा चक्की, मसाला कुटाई, बुनकर उद्योग,कृषि प्रसंस्करण उद्योग के लिए 2024-25 में 4.75 रु एनर्जी चार्ज था।इसे 2025-260 में बढ़ाकर 5.05 रुपए याने 30 पैसे प्रति यूनिट बढ़ा दिया गया है। बस्तर और सरगुजा एवं दक्षिण बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण सहित उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण ,जहां से भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला है उसे भी 30 पैसे प्रति यूनिट बढ़ा दिया गया है।
अब घरेलू बिजली के कमरतोड़ वृद्धि के अंतर को भी देख लीजिए. 0-100यूनिट पर कांग्रेस सरकार 3.90 रु वसूलती थी। साय साय के कार्यालय के सूरमाओं ने इसे बढ़ाकर 4.10 कर दिया (20पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी)। 101-200यूनिट पर 10पैसे, 201-400यूनिट पर 10पैसे प्रति यूनिट 401-600 यूनिट पर 10पैसे प्रति यूनिट और 601यूनिट से अधिक पर 20पैसे प्रति यूनिट बढ़ा दिया गया है। सबसे कम याने 0- 100यूनिट आदिवासी क्षेत्रों में उपयोग किए जाने लाखों घर है उनके लिए 20पैसे यूनिट क्यों बढ़ाया गया?
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