रायपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम हाउस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान उन्हें बताया गया कि आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज के लिए वर्तमान में चल रहे ट्रस्ट माडल वास्तव में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का ही आइडिया था, लेकिन उस दौरान सरकार बदल गई और तत्कालीन सरकार ने उसे लागू कर दिया. इसलिए इस मोड को बदला नहीं जाना चाहिए. इस पर मुख्यमंत्री ने सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया.
आईएमए के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पहले भी दो बार अलग-अलग इनश्योरेंस कम्पनी को काम दिया जा चुका है और दोनों बार यह मोड़ फेल साबित हुआ है. प्रदेश के सभी गरीबों का इलाज करना, ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है, लेकिन इनश्योरेंस कम्पनी को इससे कोई मतलब नहीं रहता. बस ज्यादा से ज्यादा पैसे कैसे बचा सकते हैं इसकी फिराक में रहती है.
उन्होंने कहा, इसके अलावा पैसा बचाने के चक्कर में वे वास्तविक मरीजों के केस का भी अप्रूवल देने से आनाकानी करती है, जिससे मरीजों का इलाज बीच में बंद करना पड़ता है. कुल मिलाकर जिस उद्देश्य को लेकर प्रधानमंत्री ने यह योजना लाई है वह धराशायी हो जाता है. वैसे भी जो मोड़ पहले ही दो-दो बार फेल हो गया हो, उसे कैसे लागू किया जा सकता है. पूरे छत्तीसगढ़ के अस्पताल इसी ट्रस्ट मोड पर कार्य करने पर सहमत है.
प्रदेश आईएमए के प्रतिनिधिमंडल ने आयुष्मान भारत के पेंडिंग राशि के भुगतान नहीं होने से होने वाले संकट पर भी मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराया. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि आयुष्मान भारत की राशि का भुगतान नहीं होने से कई अस्पताल बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं. बैंकों के कर्जे बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में यह योजना छत्तीसगढ़ में दम तोड़ देगी.
इस पर मुख्यमंत्री ने संवेदना दिखाते हुए तत्काल स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल और वित्त मंत्री ओपी चौधरी से पेंडिंग राशि तुरंत जारी करने के निर्देश दिए. उन्होंने यह भी कहा कि जल्द से जल्द पेंडिंग खत्म कर अस्पतालों का नियमित भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें. यह योजना प्रधानमंत्री का फ्लैग्शिप योजना है. इस योजना पर किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए. प्रतिनिधिमंडल में डॉ. विमल चोपड़ा, डॉ. सुरेंद्र शुक्ला, डॉ. अशोक त्रिपाठी, डॉ. शैलेश खंडेलवाल, डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ. केतन शाह और दानसिंह देवांगन उपस्थित थे.