पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासत गरमा गई है. ममता बनर्जी को मात देने के लिए बीजेपी ने भी अपनी रणनीति बदल ली है. ‘जय श्री राम’ की जगह बीजेपी की सभाओं में ‘जय मां काली’ और ‘जय मां दुर्गा’ का उद्घोष सुना जा रहा है. शुक्रवार को दुर्गापुर में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में पीएम ने ‘जय मां काली’ और ‘जय मां दुर्गा’ कहा, लेकिन, ‘जय श्री राम’ नहीं कहा.
राम के नाम पर कुछ न बोलने का यह प्रकरण भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य के शपथ ग्रहण से शुरू हुआ. अब प्रधानमंत्री की सभा में भी यही देखने को मिला. शुभेंदु अधिकारी के अलावा किसी ने भी ‘जय श्री राम’ नहीं कहा. टीएमसी ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री बदल दिया और उन्हें इसका एहसास भी नहीं हुआ.
पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में जय श्री राम या उनकी तस्वीर के बजाय मां काली की तस्वीर दिखाई दी थी. केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि अगर हमें मां काली या दुर्गा की जरूरत है तो हमें शरत चंद्र चट्टोपाध्याय या बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के पास जाना होगा.
क्या बदल गई है रणनीति? बीजेपी नेता ने बताया
उन्होंने कहा किटीएमसी अशिक्षित है, इसलिए उन्हें काली का महत्व नहीं पता. राम ही देश है और देश ही राम है. गांधी जी स्वयं एक आदर्श राम राज्य चाहते थे, मोदी ने वह दिया. प्रधानमंत्री मंच पर क्या बोलेंगे, यह मैं नहीं कह सकता.
हालांकि, इस संदर्भ में भाजपा नेतृत्व का कहना है कि धर्म के मामले में भाजपा में कोई मतभेद नहीं है. कोई भी अलग नहीं है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, “हमारे लिए कोई भी अलग नहीं है. अगर कोई प्रार्थना करना चाहता है, तो वह शांति से कर सकता है. अगर कोई चर्च जाना चाहता है, तो वह जा सकता है.”
तृणमूल ने भाजपा पर कसा तंज
दूसरी ओर, टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पीएम मोदी को यह भी एहसास नहीं हुआ कि हमने उनके राम को मां काली में बदल दिया है. यह बंगाल है, हम नहीं बदलते…हम लोगों को बदलते हैं. पश्चिम बंगाल में राम नहीं बिक रहा है और अब काली की बारी है. कुणाल घोष ने यह भी कहा कि बंगाली अस्मिता बंगाल का गौरव है. समोसा और जलेबी हमारा भोजन है, इसलिए हम क्या खाएंगे, इसका फैसला प्रधानमंत्री नहीं करेंगे.
तृणमूल का दावा है कि भाजपा वास्तव में इस तरह से भक्ति दिखाने की कोशिश कर रही है. इस संदर्भ में तृणमूल नेता और मंत्री शशि पांजा ने कहा, “भक्ति में ईमानदारी होती है. दिखावे की राजनीति नहीं चलती. भक्ति का प्रदर्शन नहीं करना पड़ता. लोगों में ईश्वर को खोजिए.” दूसरी ओर, वामपंथी नेता सुजन चक्रवर्ती का दावा है कि यह वास्तव में भाजपा का एक प्रकार का बहाना है. उन्होंने यह भी कहा, “वे जनता के पक्ष में नहीं हैं.”
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