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Ayodhya Blast: एक ही घर में 18 महीनें में 2 धमाके, पहले भी हुई 3 लोगों की मौत, पटाखे के अवैध कारोबार पर शक

अयोध्या के पगलाभारी गांव में देर रात एक जोरदार धमाका हुआ, जिसकी आवाज दूर-दूर तक सुनी गई। इस विस्फोट में मकान की एक-एक ईंट बिखर गई। हादसे में तीन बच्चों और दो बड़ों समेत कुल पांच लोगों की मौत हुई। पुलिस और प्रशासन ने घटना के बाद मलबे की तलाश में डॉग स्क्वायड और जेसीबी का इस्तेमाल किया।

धमाका स्थल और प्राथमिक जानकारी
पगलाभारी गांव के भदरसा-भरतकुंड नगर पंचायत में रामकुमार गुप्ता के मकान में हुए इस धमाके ने पूरे गांव में अफरातफरी मचा दी। मकान के दरवाजे और खिड़कियां लगभग 50 से 100 मीटर दूर तक गिर गईं। घटना स्थल पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रशासन की टीम मौजूद रही। ग्रामीण भी देर रात तक मौके पर डटी रही।

पहले भी हुआ था धमाका
यह पहली बार नहीं है जब रामकुमार गुप्ता के मकान में विस्फोट हुआ है। 18 महीने पहले, यानी 13 अप्रैल 2024 को भी रामकुमार गुप्ता के घर में जोरदार धमाका हुआ था। उस घटना में उनकी मां शिवपता (65), पत्नी बिंदु (25) और गांव की एक 19 वर्षीय लड़की प्रियंका की मौत हुई थी। उस समय रामकुमार ने माना था कि वह पटाखों का कारोबार करता था और घर में अवैध रूप से पटाखे रखता था।

गांव वालों का कहना है कि इससे पहले भी रामकुमार के घर पर तीन बार विस्फोट हो चुका था। वर्ष 2024 की घटना में मकान में आटा चक्की लगी हुई थी, जिससे पड़ोसी प्रियंका मलबे में दब गई और उसकी मौत हो गई।

इस बार के विस्फोट में हुए नुकसान
इस बार धमाका इतना भयंकर था कि मकान पूरी तरह तबाह हो गया। मकान मालिक रामकुमार गुप्ता, उनकी मां, पत्नी और तीन बच्चे ईशा (9), लव (6) और यश (4) झुलस गए। पुलिस और रेस्क्यू टीम ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तीन बच्चों समेत कुल पांच लोगों की मौत हो गई।

स्थानीय लोगों का दावा है कि रामकुमार अवैध पटाखों का कारोबार करता था। हालांकि, मकान मालिक ने सिलिंडर फटने की बात कही थी, लेकिन पुलिस ने मलबे में सिलिंडर के टुकड़े नहीं पाए।

प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
धमाके के बाद प्रशासन और पुलिस ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। मौके पर जेसीबी मशीनों से मलबा हटाकर शवों और बचे हुए लोगों की तलाश की गई। पुलिस मृतक की साली की भी खोज कर रही है, जो घटना के समय मौके पर मौजूद थी।

ग्रामीण प्रतिक्रिया और सुरक्षा चिंता
ग्रामीणों का कहना है कि यदि रामकुमार गांव के अंदर नहीं बल्कि सड़क किनारे मकान न बनाता तो धमाके की मार कई और घरों पर पड़ सकती थी। गांव की महिलाओं ने पिछले विस्फोट के बाद विरोध प्रदर्शन भी किया था।

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