रेवेन्यू विभाग में मेनू गड़बड़, टंकराम भी नहीं कर पा रहे ठीक

राजस्व विभाग हुआ अराजक, निलंबित तहसीलदार संघ के पदाधिकारी बहाली के इंतजार में

रायपुर। राजस्व विभाग का बुरा हाल है। विभाग के अफसर और कर्मी परेशान हैं। मंत्री टंकराम वर्मा के कामकाज के ढंग से पूरे विभाग में निराशा का माहौल है। दलालों को बोलबाला यहां बढ़ गया है। आपकों याद दिला दें कि तहसीलदार संघ ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। तब विभाग ने संघ के पदाधिकारियों को दूरस्थ जिलों में तबादला कर दिया था। संघ के अध्यक्ष नीलमणि दुबे का एक साल में चार बार तबादला कर एक रिकार्ड बनाया था।

जब इसका विरोध और पैसा लेकर तबादले के आरोप लगे तो कई तहसीलदारों को निलंबित कर दिया गया था। स्थिति यह है कि वे अब तक बहाल नहीं हुए हैं। राजस्व का पूरा अमला कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। राजस्व के मामलों की बाढ़ प्रदेश में आ गई है। फौती, नामांतरण, बंटवारा के प्रकरण हर जिलें में लंबित है। लोक गारंटी अधिनियम यहां पर तांडव कर रहा है। शासन के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। इधर विभाग का ध्यान ही नहीं है।

मंत्री किसी मामले पर ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। भारत माला प्रोजेक्ट से लेकर बिल्डर को निजी जमीन बेचे जाने के मामले में पूरा विभाग घिर चुका तब जांच के आदेश दिए गए । सब कुछ यहां पर आराम से चल रहा है। भगवान भरोसे किसानों का एग्रीटेक में पंजीयन हुआ। लाखों किसानों का रकबा आज तक मिलान नहीं हो पाया। धान खरीदी का समय नजदीक है, लेकिन किसान अब भी अपने फसल की बिक्री होगी कि नहीं इसे लेकर भ्रम है। गिरदावरी से लेकर हर काम पेंडिंग है। पटवारियों का तबादला हुए महीनों बीत गए लेकिन रायपुर जिले के पटवारी आज तक रिलीव नहीं हुए। ऐसेे काम कैसा चल रहा है, आप देख सकते हैं।

शिक्षकों के हजारों पद खाली, फिर भी डफली बजा रहे शिक्षा विभाग के अफसर
रायपुर स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी पूरा करने किए गए युक्तियुक्त करण के बाद भी हजारों पद खाली है। 5 हजार पद की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया है, वह ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण के बाद भी 22,464 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिससे पढ़ाई व कक्षाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। प्राइमरी में 7,957, मिडिल में 7,734 और हाई/हायर सेकेंडरी में 6,773 पद खाली हैं।

यही वह संकट है जिसे युक्तियुक्तकरण से पूरा नहीं किया जा सका। युक्तियुक्तकरण के दौरान कुछ स्कूलों में पदों का समेकन और कुछ पदों का समायोजन हुआ, पर भर्ती प्रक्रिया और स्थायी भर्तियों की कमी ने रिक्तियों को कायम रखा। गुणवत्ता युक्त शिक्षा का दंभ भरने वाले विभागीय सचिव परदेशी यहां पर पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं। उन्होंने मंत्री के गुरु को अपना शागिर्द बना लिया है, लेकिन वे समायोजन के बाद किए गए तबादले और प्रतिनियुक्ति में फंसते नजर आ रहे हैं।

यह जोड़ी कर रही काम
यहां पर चावरे और बंजारा की जोड़ी काम कर रही है। इनमें यह कहा जा रहा है कि यादव के मंत्री बनने के बाद आशुतोष की बांझे खिल गई है। उनका रिश्ता अब गुरु और चेला का बन गया है। दोनों मिलकर नया खेल कर रहे हैं। वैसे विभाग में तो रिक्त पद हैं, वह बहुत ज्यादा हैं। एक समय शिक्षा विभाग में आरएन सिंह की तूती बोलती थी, वैसे ही अब चावरे यहां पर साबित हो रहे हैं।

दो माहतत लीड कर रहे
वैसे देखा जाए तो यहां पर परदेशी विभाग के प्रशासनिक तौर पर लीड कर रहे हैं, लेकिन फील्ड की समस्याओं से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री के समय संचालक यहां पर लीड करती थी। वैसे ही अब उनके संचालनालय के वे दो माहतत लीड कर रहे हैं। पिछले एक दशक से यहां बैठकर कहां से कितना और कैसे निकलेगा इसका पूरा गणित उन्हें मालूम हैं। अब अपने सेवा के अंतिम दौर में पूरा दंम लगाकर बटोरने में लगे हैं।

अब परदेशी ही दे ध्यान
अब देखना यह है कि आखिर समायोजन से असंतुष्ठ लोगों को वे कैसे मना पाते है। अधिकांश का मामला पूरी तरह से सही है। फिर भी जिले से संभाग स्तर की कमेटी ने परदेशी के दबाव में अधिकांश दावे निरस्त कर दिए। अब वे कोर्ट का रास्ता देख रहे हैं। हालांकि ऐसे शिक्षक जिन्होंने समायोजन के बाद ज्वाइन नहीं किया उन्हें सैलरी नहीं दी जा रही है। ऐसे में वे जिनके पास और कोई कमाई का जरिया नहीं वे वापस आ गए। और जो लड़ सकते हैं वे विभाग के निर्णय को चैंलेंज कर रहे हैं। अब सचिव को ध्यान देना चाहिए कि आखिर इतने सारे लोग क्यों असंतुष्ठ हैं। तभी शिक्षा और बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा।

भाजपा सरकार में बढ़ा साय साय लव अफेयर, ब्यूरोक्रेट और नेता में लगी होड़
रायपुर भाजपा के विष्णुदेव सरकार में रसिकों का बोलबाला हैं। मानवीय प्रवृत्ति है कि जब एक दूसरे को पसंद करते हैं, तो नजदीकियां बढ़ जाती है। जब हम किसी के प्रति आकर्षित होते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का उत्पादन होता है। इस हार्मोन को अक्सर ‘लव हार्मोन’ कहा जाता है, जो हमें जुड़ाव और स्नेह महसूस कराता है। ऑक्सीटोसिन का उत्पादन जितना ज़्यादा होता है, व्यक्ति में दूसरे के प्रति लगाव उतना ही मज़बूत होता है।

वैसे प्रदेश सरकार के इस कार्यकाल में आईपीएस लॉबी में ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं। निश्चित तौर पर यह एक हद में रहे तो ठीक है। लंबे समय तक संपर्क में रहने के बाद लोगों की आपेक्षाएं बढ़ जाती है, फिर कई आरोप लगते हैं। जैसा हाल ही में एक आईपीएस पर आरोप लगे हैं। वैसे ही एक और आईपीएस का लव एंगल आया है जो अपने ही विभाग कर्मी के साथ चल रहा है। यहां पर मामला अभी बिगड़ा नहीं है। वहीं एक जिले के एसपी का एसआई से दुष्कर्म का मामला निकल कर सामने आया है।

वैसे यह विभाग ऐसा है जहां राज खोलने और जानने वाले अधिक सक्रिय रहते हैं। ऐसा ही कभी एडीजी स्तर के अफसर पर आरोप लगा। उसके पहले भी एक अफसर को विशाखा कमेटी ने दोषी पाया। उन पर कार्रवाई भी हुई , लेकिन शासन ने रिपोर्ट को अमान्य कर दिया। वैसे प्रेम रखना गलत नहीं है। उसे सही रूप में बनाए रखना जरूरी होता है। यहां जब इसका उपभोग कर लोग भागने लगते हैं, तब दुखी मन -लालच में उसका अंत करने में तुल जाता है। वैसे पुलिस विभाग इस मामले कहीं आगे हैं।

इल्जाम और महंगे गिफ्ट भी
नेताओं में भी ऐसा ही माहौल चल रहा है। यह तक सामने आया जब उन्हे पद मिला। इस स्तर पर आने के बाद उनके साथ जूड़े लोगों तक बात पहुंचे तो उनके काम और स्तर पर सवाल अवश्य उठता है। यहां अपने लव एंगल को बनाए रखने अनुरोध और विनियोग के साथ प्रजेंट भी दिया जाने लगा है। जब ये नेता अपनी चरम पर पहुंच गए तो प्रेमिका को गिफ्ट में करोड़ों का आशीयाना भी दिया। अनुराग का यह क्रम अनु राधा के बीच बना रहे इसे लेकर अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है।

घोटालों का सरताज नागरिक आपूर्ति निगम में फर्जी नियुक्ति, फर्जी अफसर खाद्य मंत्री का ओएसडी बना, कई शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, अब लोकतंत्र के चौथे स्तंम्भ ने चलाई मुहिम

रायपुर। नागरिक आपूर्ति निगम में 2012 में सहायक प्रबंधकों की सीधी भर्ती हुई थी। भर्ती में न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई थी। सीधी भर्ती में सामान्य प्रशासन विभाग भर्ती नियमों के सभी नियम तैयार करता है।भर्ती नियम के आधार पर शासन सभी दास्तावेज का सत्यापन करने के बाद किसी व्यक्ति काे नियुक्ति देता है। उसके आधार पर ही विभागीय अफसर पदक्रम सूची तैयार कर उन्हें पदोन्नति और अन्य सुविधाएं देता है।

यहां आपका ध्यान शासन की एक गंभीर चूक की ओर आकर्षित कर रहे हैं। 30 जुलाई को नान ने सहायक प्रबंधकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर 35 वर्ष आयु सीमा के व्यक्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किया। संतोष अग्रवाल जिनकी जन्म तिथि 29 अक्टूबर 1976 है उन्होंने पद के लिए आवेदन किया। उनके आवेदन को बिना जांचे ओव्हर एज होते हुए भी स्वीकृत कर दिया गया। परीक्षा में सफल लोगों के साक्षात्कार लिए गए नियुक्ति भी हुई , लेकिन शासन के कर्ता धर्ता लोगों को ओव्हर ऐज के व्यक्ति का दास्तावेज सत्यापन के बाद भी यह मामला पकड़ में नहीं आया। या यह कह सकते हैं कि मामला ध्यान में आने के बाद भी अफसरों ने आंख मूंद कर उन्हें नियुक्ति दे दी। आज 13 साल की नौकरी के बाद उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत है।

सत्ताधीशों की दलाली के कारण मामला दबा
नियुक्ति के बाद कई शिकायतें हुई। यहां तक विधानसभा में भी ध्यानाकर्षण के माध्यम से सवाल लगे, लेकिन सत्ताधीशों की दलाली के कारण मामला उजागर नहीं हुआ। अब पीड़ित पक्ष के लोगों ने न्याय की उम्मीद में लोकतंत्र के चौथे स्तंम्भ के सामने यह मामला लाया है। उनके सारे दास्तावेजों के जांच-पड़ताल के बाद हमने पाया कि यह मामला गंभीर है, और अनयमितता की श्रेणी में आता है अत: ऐसे अफसर को नौकरी से तत्काल बाहर किया जाना चाहिए।

जीएडी ले तत्काल एक्शन
यह मामला इसलिए भी खास है कि उक्त अफसर की नियुक्ति अब खाद्य मंत्री दयाल दास के यहां ओएसडी के पद पर हो गई है। मंत्री का पूरा काम वहीं संभाल रहा है। सारे लेन देन से लेकर हर तरह के कार्य संतोष अग्रवाल ही करता है। जो स्वयं फर्जी आधार पर नौकरी में नियुक्त हुआ है। वह विभाग में भी बड़े फर्जी वाड़ा को अंजाम दे सकता है। अत:सामान्य प्रशासन विभाग को हमारी रिपोर्ट के आधार पर पूरे मामले को जांच के लेकर ऐसे अफसर पर तत्काल एक्शन लेना चाहिए।

नान अध्यक्ष को दास्तावेज सहित शिकायत
नान में फर्जी नियुक्ति के मामले में नान के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव को भी इसकी पूरी प्रति भेजकर मामले की जांच कराने का आग्रह किया गया है। यहां यह भी बता दे कि यह वहीं नान है जहां पर जिस दौर में नियुक्ति हुई उस समय अफसरों ने 3000 करोड़ को नान घोटाला किया था। यह नियुक्ति उन्हीं घोटाले बाज अफसरों की शह पर हुई है। अत: जीरों टालरेंस वाली साय सरकार इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करे। और फर्जी नियुक्त अफसर से अब तक दिए गए वेतन भत्ते की वसूली का कानूनी कार्रवाई करें।

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